कोलकाता : पेट्रोल और डीजल को शीघ्र ही जीएसटी के दायरे में लाना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर होगा क्योंकि जीएसटी में करों में बदलाव जीएसटी काउंसिल में वृहद चर्चा के बाद ही होती है। एसोचेम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि केन्द्र तथा राज्य सरकारें, दोनों ही राजस्व के लिए पेट्रोल और डीजल पर अत्याधिक निर्भर हैं और इस स्थिति में कमी लानी होगी। ऑटोमोबाइल ईंधन की कीमतों में समानता लाने के लिए यह जरूरी है वरना जीएसटी का वृहद उद्देश्य पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोविड 19 के कारण हुए 42 दिनों के लॉकडाउन से प्रभावित उद्योग जगत साहसिक कदमों और पैकेज की प्रतीक्षा में है मगर कर बढ़े तो माँग में कमी आयेगी जिससे अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा। एसोचेम ने कहा कि किसी भी स्थिति में पम्प प्राइस बढ़ाए बगैर अगर क्रूड ऑयल की कीमतों में अत्प्रत्याशित गिरावट आई तो बाजार संचालित मुद्रा नीति यानी मार्केट ड्राइवेन प्राइसिंग पॉलिसी के विरुद्ध होगा।