कोलकाता । पश्चिम बंगाल के विविध उच्च शिक्षण संस्थानों के 45 विद्यार्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल आज पुडुचेरी के लिए रवाना हुआ। इन शिक्षण संस्थानों में एनआईटी दुर्गापुर, कांडी राज कॉलेज एंड इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट फॉर जूनियर ऐक्ज़ीक्यूटिव आदि शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल भारत सरकार के महत्वाकांक्षी सांस्कृतिक व शैक्षिक प्रयास ’एक भारत श्रेष्ठ भारत युवा संगम’ कार्यक्रम के दूसरे चरण का हिस्सा है।
पश्चिम बंगाल का नोडल इंस्टीट्यूट एनआईटी दुर्गापुर है तथा पुडुचेरी का नोडल इंस्टीट्यूट एनआईटी पुडुचेरी है। एनआईटी दुर्गापुर में आयोजित एक विशेष समारोह में इस प्रतिनिधिमंडल को रवाना किया गया और यह 18 मई को पुडुचेरी पहुंचेगा। यह यात्रा कार्यक्रम 24 मई को सम्पन्न होगा। इन विद्यार्थियों के साथ 4 शिक्षक भी गए हैं। एनआईटी दुर्गापुर के परिसर में आयोजित रवानगी समारोह के दौरान इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो इंद्रजीत बसाक ने कहा, ’’सरकार की ओर से यह बहुत अहम कदम है जो राष्ट्रीय एकता निर्मित करेगा और भारत की विविधता एवं क्षमताओं की ओर युवा विद्यार्थियों के मस्तिष्कों का विस्तार करेगा। मुझे यकीन है की इन विद्यार्थियों को मिलने वाला यह अनुभव दीर्घकालिक व सकारात्मक प्रभाव कायम करेगा; वे भारत की विभिन्न संस्कृतियों को जानेंगे-समझेंगे तथा उनके मन में देश की विविधता व एकता के प्रति सम्मान विकसित होगा।’’ विद्यार्थियों के यात्रा कार्यक्रम में शामिल रहेंगेः तरंगमबाड़ी ओज़ोन बीच पर सूर्योदय दर्शन, कराइकल का दौरा और शॉपिंग, एमएस स्वामी नाथन रिसर्च फाउंडेशन, पूमपुहार बीच, चिदम्बरम नटराजार मंदिर, अरविंद आश्रम, गवर्नर पैलेस तथा ऑरोविले, नागोर व वेल्लाकन्नी की सांस्कृकि यात्रा। यह प्रतिनिधिमंडल ग्रेट लिविंग चोला टैम्पल्स, कुम्बाकोणम, दारासुरम और थंजावुर देखने भी जाएगा। शिक्षा मंत्रालय की मौलिक पहल युवा संगम का युवा विनियम कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आता है। इसका लक्ष्य है लोगों -विशेषकर विभिन्न राज्यों के युवाओं- के बीच जुड़ाव को मजबूत करना तथा उन्हें भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति एवं जीवन मूल्यों से परिचित कराना। एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की है और जिसका ध्येय भारत के विभिन्न राज्यों के मध्य एक सांस्कृतिक जुड़ाव कायम करना है। इस पहल का उद्देश्य उन युवाओं को आगे लाना भी है जो न केवल बेहद प्रतिभावान, वैश्विक ज्ञान रखने वाले, रचनात्मकता एवं नवोत्थान के जज़्बे से भरपूर हैं बल्कि जो उन सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति भी जागरुक हैं जिनमें देश की मानवोचित दयाशील संस्कृति परिलक्षित होती है। यह पहल इस साल फरवरी में हुई थी तथा युवा संगम के प्रथम चरण को बहुत उत्साहपूर्ण सहभागिता मिली थी जिसमें 1200 युवाओं ने भाग लिया था और पहला दल पूर्वोत्तर भारत की यात्रा पर गया था।