उच्च शिक्षा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है राजनीतिक हस्तक्षेप

भारतीय भाषा परिषद ने आयोजित किया शिक्षक सम्मान समारोह

कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद के सभागार में आज पश्चिम बंगाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेजों तथा स्कूलों के 21 शिक्षकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। वर्ष 2023 का शिक्षा सम्मान पाने वाले पूर्व शिक्षक हैं- प्रो. मंजुरानी सिंह (विश्वभारती, शांनिनिकेतन), डॉ. सुनंदा राय चौधुरी (योगेशचंद्र चौधरी कॉलेज), डॉ. किरण सिपाणी (आचार्य जगदीश चंद्र बसु कॉलेज), डॉ. रेवा जाजोदिया (बंगबासी इवनिंग कॉलेज), डॉ. कुसुम राय (मानकर कॉलेज, बर्दवान)। वर्तमान वरिष्ठ प्रोफेसर और अध्यापक हैं- प्रो. रूपा गुप्ता (बर्दवान विश्वविद्यालय), प्रो. सुचरिता बंद्योपाध्याय, प्रो. जरीना जरीन (कलकत्ता विश्वविद्यालय),  मीनाक्षी चतुर्वेदी (भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी), डॉ. विभा कुमारी (कल्याणी विश्वविद्यालय), श्रीमती अल्पना नायक (श्री शिक्षायतन कॉलेज), डॉ. शुभ्रा उपाध्याय (खुदीराम बोस कॉलेज), डॉ. संजय कुमार (लालबाबा कॉलेज), ममता त्रिवेदी (योगेशचंद्र चौधरी कॉलेज), डॉ. रेशमी पांडा मुखर्जी (गोखले गर्ल्स कॉलेज),  रेखा शॉ (डानबास्को, पार्क सर्कस),  कविता कोठारी (श्री शिक्षायतन स्कूल), अमरजीत पंडित (हाजीनगर आदर्श हिंदी विद्यालय), बलवंत सिंह (लॉ मार्टिनियर) और  बलवंत यादव (लायला हाई स्कूल)।
इसके बाद हाल ही गुजरे दो शिक्षकों रेखा सिंह एवं अभिजीत भट्टाचार्य के प्रति श्रद्धा ज्ञापित करते हुए एक मिनट का मौन धारण किया गया। इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने शिक्षा को पेशा के साथ एक विशिष्ट शैली भी माना। शिक्षा सम्मान का उद्घाटन करते हुए डॉ. कुसुम खेमानी ने कहा कि सही शिक्षा वह है जिसमें हम अपनी आत्मा और सत्य को पहचान सकें। प्रो. राजश्री शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि परिषद पश्चिम बंगाल के इन सभी शिक्षकों को सम्मानित करते हुए गौरव का बोध कर रही है। संचालन करते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि शिक्षक हमारे चित्त की उच्चता की रक्षा करते हैं। वे समाज और बच्चों के मार्गदर्शक हैं
सम्मानित शिक्षकों के बीच से आभार व्यक्त करते हुए विश्वभारती की प्रो.मंजुरानी सिंह ने कहा कि शिक्षकों को सम्मानित करने की परंपरा का हम अभिनंदन करते हैं। यह सम्मान सारे शिक्षकों का है। उच्च शिक्षा के समक्ष चुनौतियां विषय पर परिचर्चा में भाग लेते हुए आईलीड के चेयरमैन श्री प्रदीप चोपड़ा ने कहा कि हमें शिक्षा प्रदान करने के तरीके में बदलाव की बहुत जरूरत है। अपनी शिक्षा को आजीविका के साथ जोड़ना होगा। भवानीपुर एजूकेशन सोसायटी कॉलेज के डीन-रैक्टर प्रो.दिलीप शाह ने कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्र विदेश न जाएं इसके लिए यहां अवसर तैयार करना होगा। साथ ही कहा कि आज हर शिक्षक को हमेशा अपडेट रहने की जरूरत है।
हैरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर प्रो. बासव चौधरी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारी शिक्षा को काफी ऊंचा करने की जरूरत है। हमें शिक्षा को निरंतर जीवन का अंग बनाना होगा तभी कोई बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं। हमें आज क्रिएटिव पिपुल तैयार करने की जरूरत है। स्वशिक्षण की बेहद आवश्यकता है। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के इतिहास विषय के अध्यक्ष प्रो. हितेंद्र पटेल ने वर्तमान शिक्षा की समस्याओं पर बात की। उन्होंने रवींद्र और गांधी के संदर्भ में बात रखते हुए कहा कि आज भारत की शिक्षा-व्यवस्था को अकेडेमिनयन ने सत्यानाश कर दिया है। आज की क्राइसिस बनाई हुई क्राइसिस है। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए विशिष्ट शिक्षाविद डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि एक सफल शिक्षक का काम विद्यार्थियों में विषय के प्रति जिज्ञासा और गहरा सरोकार पैदा करना है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि 10 सालों के बाद संभव है मेधारोबो, आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की मशीनें ही प्रोफेसर बनेंगी। मंच पर परिषद के वित्त सचिव श्री घनश्याम सुगला भी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन बिमला पोद्दार ने किया।

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