भारतीय परिवारों में लड़कियों के साथ होने वाले पक्षपात के विरोध में यह गीत लिखा गया है। आप इसे भोजपुरी गीतों का बदलता मिजाज कह सकते हैं क्योंकि जहाँ पर गीतों में स्त्री के विरोध के लिए कोई जगह नहीं है, और उसकी देह से आगे गीतकारों की नजर नहीं जा रही, वहीं यह आज की लड़कियों का स्वर है…जो उनकी पीड़ा से जन्मा है। अगर आप भी ऐसे ही गीत या लेख अपनी मातृभाषा में लिखते हैं तो हमें जरूर भेजें…आपका स्वागत रहेगा –