देश में बच्चों के साथ दुराचार की घटनाएँ अक्सर सामने आती हैं, लेकिन उससे कई गुना अधिक घटनाएँ ऐसी होती हैं जो कहीं दर्ज ही नहीं की जातीं। उसका एक बड़ा कारण यह है कि ऐसे मामलों में दोषी बच्चों के परिवार का ही करीबी, रिश्तेदार या जानने वाला होता है, जिसके खिलाफ बच्चे डर और झिझक से कभी शिकायत नहीं करते।
बच्चे ऐसे मामलों की शिकायत अपने घर में भी नहीं करते। ऐसे में इन मामलों पर कार्रवाई का कोई रास्ता नहीं बचता है।
लेकिन अब इन्हीं मामलों पर शिकंजा कसने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग ने कमर कस ली है। बच्चो का सुरक्षा घेरा बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने शिकायत करने का आसान और सुरक्षित तरीका बच्चों को दिया है।
अब बच्चे बिना डरे अपनी शिकायत आसानी से दर्ज करा सकते हैं, जिस पर आयोग कड़ी कार्रवाई करेगा। और इसमें बच्चे को अपनी पहचान बताने की भी जरूरत नहीं पडेगी।
2007 में हुए एक सरकारी अध्ययन के मुताबिक भारत में करीबन 69 % बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए हैं। लेकिन उनमें से ज्यादातर बच्चे शिकायत तक दर्ज नहीं करा पाते। 13 राज्यों के 12447 बच्चों पर कराये गए सर्वेक्षण में आन्ध्र प्रदेश, बिहार,असम राज्यों सहित देश की राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा मामले पाए गए।
शोषण के 50 प्रतिशत मामलों में शोषण करने वाला, बच्चों के घर से या पहचान का रिश्तेदार या भरोसेमंद आदमी ही होता है। और इसीलिए अधिकतर बच्चे शिकायत की तो छोडिये, इसकी जानकारी तक किसी को नहीं होने देते।
ऐसे मामलों से निपटने के लिए बच्चों के साथ होने वाले अश्लील कृत्यों और यौन शोषण की शिकायत के लिए ऑनलाइन शिकायत बॉक्स बनाया गया है। बच्चों के अधिकारों के लिए भारत सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एक ऐसे ई-ड्रॉपबॉक्स पर काम कर रहा है, जिसमें बच्चे अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं की शिकायत आसानी से दर्ज करा सकते हैं।
इस ड्रॉपबॉक्स में बच्चे गाली-गलौज से लेकर शोषण और अश्लील कृत्यों की शिकायत अपनी बिना पहचान बताए दर्ज कर सकते हैं।
मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक यह ड्रॉप बॉक्स ज्यादातर मामलों को सामने लाएगा।
“अक्सर देखा गया है कि ऐसे ज्यादातर मामलों में बच्चों का करीबी ही शामिल होता है जिसके खिलाफ बच्चे घर में भी किसी को बताने से डरते हैं। ऐसे बच्चे अब घर से लेकर बस, ट्यूशन और स्कूल में कहीं भी अपने साथ होने वाली ऐसी घटनाओं के खिलाफ शिकायत कर सकेंगे।”
इसकी भाषा से लेकर प्रयोग के विकल्प बेहद आसान बनाये गए हैं। तस्वीरें और कई आइकनों (चिन्हों) के माध्यम से छोटे बच्चे भी समझ सकेंगे और अपनी शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा, “बच्चों के साथ होने वाली शोषण और उत्पीडन की घटनाओं को रोकने के लिए यह एक और कदम है। इससे बच्चों की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा और मजबूत होगी।”
ये ई-ड्रॉपबॉक्स राष्ट्रीय बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (NCPCR) की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा। जहाँ आसानी से इसका प्रयोग किया जा सकता है। बच्चों की सुरक्षा का यह अभियान दिल्ली पुलिस द्वारा चलाये जा रहे ‘ऑपरेशन निर्भीक’ से प्रेरित है। ‘ऑपरेशन निर्भीक’ लड़कियों की शिकायतों को लेकर चलाया जा रहा बेहतरीन अभियान है, जिसमें दिल्ली के विभिन्न स्कूलों में ‘शिकायत बॉक्स’ रखवाए गए हैं। इन शिकायत बॉक्सों में कोई भी लड़की अपने साथ हुए किसी भी तरह के उत्पीडन की शिकायत लिखकर डाल सकती है। और फिर दिल्ली पुलिस उस शिकायत की पड़ताल करती है। उस बॉक्स की कई शिकायतें एफआईआर में तब्दील कर दी जाती हैं और दोषियों पर कड़ी कारवाई की जाती है। दिल्ली पुलिस और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का ये अभियान बच्चों को घर और स्कूल में अपने साथ कुछ भी गलत किए जाने के खिलाफ बेझिझक शिकायत करने को प्रेरित कर रहां हैं। इससे बच्चे न सिर्फ़ सुरक्षित होंगे बल्कि निडर होकर अपनी बात भी कह सकेंगे।
(साभार – द बेटर इंडिया)