लुधियाना.2012 में पंजाब पुलिस ज्वाॅइन करने वाली जालंधर की डेन्टिस्ट डॉ. रिचा अग्निहोत्री ने लुधियाना की एसीपी (ट्रैफिक) की पहली पोस्टिंग में ईमानदारी, डेडिकेशन और बेखौफ तरीके से ऐसी ड्यूटी निभाई कि लोग उन्हें ‘लेडी सिंघम’ कहने लगे। उनका तबादला लुधियाना से जालंधर कर दिया गया है। बतौर पीपीएस अफसर डाॅ. रिचा ने डेढ़ साल के कार्यकाल में अवेयरनेस के साथ ट्रैफिक रूल्स एन्फोर्समेंट के लिए कई कदम उठाए।
इन वजहों से चर्चित है ये अफसर…
– 8 सितंबर, 2014 को ज्वॉइनिंग के बाद एन्फोर्समेंट के मामले में न केवल सख्ती बरती, बल्कि नाकों पर विदाउट हेलमेट लोगों का चालान काटने की जगह ऑन द स्पॉट हेलमेट खरीदकर पहनानाया।
– इसे अब अमृतसर पुलिस फॉलो कर रही है। हाल ही में हूटर वाली कारें और पटाखे वाले बुलेट को पकड़ने की भी शुरुआत उन्होंने ही की।
जब विधानसभा में पेश होना पड़ा
– रूल्स तोड़ता पुलिस अफसर मिला या पंजाबी के सीएम बादल की बस, एसीपी ने सबका चालान कटवाया।
– एक बार जब एमएलए बैंस की गाड़ी पर लगे स्टिकर उतरवा दिए तो शिकायत विधानसभा स्पीकर तक पहुंची।
– रिचा को डीटीओ गर्ग के साथ विधानसभा में भी पेश होना पड़ा, लेकिन उन्होंने एन्फोर्समेंट कम नहीं होने दी।
– यहां तक कि रात में ड्रंकन ड्राइविंग के लिए खुद नाके लगाए।
रुकवा दी थी ट्रांसफर
– लुधियाना में जब ट्रैफिक एन्फोर्समेंट के लिए स्पेशल नाकाबंदी की जा रही थी तो डॉ. रिचा का ट्रांसफर हो रहा था।
– मगर पता चला तो तत्कालीन पुलिस कमिश्नर प्रमोद बान ने ट्रांसफर रुकवा दी।
– लुधियाना के ट्रैफिक सुधार के लिए डॉ रिचा ने जैसे एफर्ट किए, वे जरूरी हैं, इसलिए वो यहीं काम करें।
आलोचना ने किया प्रेरित
– शहरियों की इच्छा ने ही काम करने के लिए प्रेरित किया।
– पहली पोस्टिंग के बावजूद लुधियाना बहुत करीब लगा।
– आलोचना करने वालों का खासतौर पर धन्यवाद कहूंगी कि इससे रियलिटी चेक के साथ और बेहतर करने की प्रेरणा मिलती रही।
– कोई भी कामयाबी अकेले नहीं बल्कि गर्मी, ठंड और बारिश में डेली साढ़े 13 घंटे बिना रुके और बिना थके काम करने वाले फील्ड अफसरों की है।
– लुधियाना में कार्यकाल खत्म हुआ लेकिन काम का उत्साह पहले जैसा ही है।
– डॉ. रिचा अग्निहोत्री, एसीपी (ट्रैफिक)
चौराहों पर खुद फूल बांटे, नींबू मिर्ची तक टांगी
– शहर में हादसों के खिलाफ महाअभियान चला तो अवेयरनेस के लिए आगे आए संगठन के साथ जुड़ीं।
– चौराहों पर रूल्स फॉलो करने वालों को फूल बांटे। ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं करने वालों को शर्मसार करने के लिए यूथ सेवा सोसाइटी की पहल पर नींबू-मिर्ची जैसे ट्रेडिशनल तरीके से समझाने की कोशिश की।
– इसके अलावा स्कूलों में ट्रैफिक क्लब बनाए और अवेयरनेस एक्टिविटीज करवाई। अब भी ट्रैफिक टीम अवेयरनेस में जुटी है।