नयी दिल्ली : स्मार्टफोन पर रास्ता या लोकेशन (भौगोलिक स्थिति) ढूंढने के लिए इसरो ने नेविगेशन विद इंडियन कॉन्सटेलेशन (नाविक) सिस्टम विकसित किया है। यह मोबाइल पर नवनंबर से उपलब्ध होगा। इसके बाद अमेरिका के ग्लोबल पॅजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की जरूरत नहीं होगी।
मोबाइल और अन्य दूरसंचार उपकरणों के लिए चिपसेट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी क्वॉलकॉम ने इसरो के ‘नाविक’ सिस्टम का परीक्षण पूरा कर लिया है। ‘नाविक’ इसरो के उपग्रहों के तंत्र पर काम करता है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में जीपीएस के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है। क्वालकॉम के स्नैपड्रैगन प्लेटफॉर्म पर ‘नाविक’ का पहला प्रदर्शन दिल्ली के एयरोसिटी में सोमवार से शुरू हुए तीन दिवसीय भारतीय मोबाइल कांग्रेस के दौरान किया जाएगा। इसरो ने बताया कि क्वालकॉम ने इसरो के साथ मिलकर अपना नया चिपसेट प्लेटफॉर्म विकासित किया है और उसका परीक्षण भी पूरा कर लिया गया। उसने बताया कि यह चिपसेट प्लेटफॉर्म ‘नाविक’ को सपोर्ट करता है। ‘नाविक’ के इस्तेमाल के लिए इसरो से प्रौद्योगिकी खरीदने वाली क्वालकॉम पहली बड़ी चिपसेट कंपनी है। इससे भारतीय उपमहाद्वीप में ‘नाविक’ के प्रसार, लोकेशन, ऑटोमोटिव और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईऑटी) से जुड़े समाधान ढूंढने में मदद मिलेगी। इसरो प्रमुख डॉ. के शिवन ने कहा कि देश के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की हमारी सोच को गति देने में नाविक एक महत्त्वपूर्ण कदम है। हम इस प्रणाली को इस्तेमाल में लाने और सबके लिए आसान बनाने के लिए उत्सुक हैं। मोबाइल प्लेटफॉर्म पर ‘नाविक’ को लाने में क्वालकॉम के साथ सहयोग कर इसरो को प्रसन्नता है। इससे देश को लोग काफी लाभान्वित होंगे।