कोटा.इंद्राविहार स्थित ओपेरा हॉस्पिटल में विकलांग शिविर में आये महावीर नगर में डीजे की दुकाल चलाने वाले अनिल चौहान 35 वर्ष के हैं और बचपन से ही निशक्त हैं। डाॅक्टरों का कहना है कि पैर सीधे तो हो सकते हैं, लेकिन चल नही सकते। सभी जगह गए, लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी।
उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और जीवन को आगे बढ़ाने के लिए कार में अपनी सहुलियत के अनुसार ब्रेक, क्लच और रेस दबाने के लिए उन्होंने मिस्त्री से करीब 8000 रु का खर्चे से नया तरीके का जुगाड़ करवा लिया। उन्होंने इन पर लोहे की छड़े वैल्ड कर करवाई। इसके बाद से वे आसानी से कार चला पा रहे हैं। उनकी पत्नी भी एक पैर से निशक्त है।