आगरे का किला, अंग्रेजों ने मलबा डालकर किया था निर्माण, वहां निकलीं सीढ़ियां-दरवाजा

आगरा । आगरा किला के रहस्यों पर से एक बार फिर पर्दा उठा है। मुगल सल्तनत की बुलंदी की गवाही देते आगरा किला के अमर सिंह गेट पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को काम के दौरान प्राचीन दरवाजा और सीढ़ियां मिली हैं। दरवाजे से होकर यह सीढ़ियां आगरा किला की प्राचीर पर पहुंचती हैं। यह निर्माण मुगल काल का है।
ब्रिटिश काल में यहां मलबा भरकर उसके ऊपर निर्माण कर दिया गया था। एएसआइ इसे मूल स्वरूप में सहेज रहा है। आगरा किला में पर्यटकों को अमर सिंह गेट से प्रवेश मिलता है। अमर सिंह गेट के अंदर की तरफ बाईं व दाईं तरफ ब्रिटिश काल में मलबा डालकर भर्त करा दी गई थी। आठ से नौ फीट ऊंचाई तक मलबा भर दिया गया था। उसके ऊपर पत्थर का फर्श कर गार्डन बना दिया गया था।
पत्थरों को हटाने के बाद मलबा निकाला
एएसआइ ने तीन वर्ष पूर्व बाईं तरफ के मलबे को हटाकर वहां के फर्श का स्तर रास्ते के बराबर किया था। गेट के दाईं तरफ के भाग को रास्ते के बराबर में करने को कुछ दिन पूर्व काम शुरू किया गया। पत्थरों को हटाने के बाद जब मलबा हटाया गया तो किले की दीवार में बना हुआ दरवाजा नजर आया। दरवाजे में अंदर की तरफ जब मलबा हटाना शुरू किया गया तो वहां सीढ़ियां मिलीं। किले की दीवार में बनी हुई सीढ़ियां, ऊपर की ओर जाता है।
लाल बालुई पत्थर लगाया जा रहा
एएसआइ ने जीने के ऊपर दीवार पर लगे पत्थरों को हटाकर इस रास्ते को पूरा खोल दिया है। यहां अब फर्श पर रेड सैंड स्टोन यानी लाल बलुई पत्थर लगाया जा रहा है। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि आगरा किला में विभिन्न कालखंडों में अलग-अलग समय पर निर्माण किए गए हैं। अमर सिंह गेट के बराबर में मलबा हटाने पर मिले मुगलकालीन दरवाजे व जीने को मूल स्वरूप में सहेजा जाएगा।
लाखौरी ईंटों से चिनाई
दरवाजे के पास ब्रिटिश काल की भी सीढ़ियां मिलीं दरवाजे के पास किले की दीवार से लगी सीढ़ियां भी मलबे के नीचे दबी हुई मिली हैं। इसमें नीचे के भाग में मलबा भरा हुआ है और उसके ऊपर लाखौरी ईंटों की चिनाई है। दीवार के कुछ भाग में चूने का प्लास्टर भी है, लेकिन इस प्लास्टर में समौसम मिला हुआ है। ब्रिटिश काल में चूने में समौसम मिलाया जाता था, जिससे इसे निर्माण को ब्रिटिश काल में हुआ माना जा रहा है।
1999 में मिले थे तोप-गोले
एएसआइ को वर्ष 1999 में आगरा किला की खाई में दिल्ली गेट के समीप की गई सफाई में ब्रिटिशकालीन तीन तोपें मलबे में दबी मिली थीं। दिसंबर, 2020 में आगरा किला के दीवान-ए-आम परिसर में नीम का पेड़ गिर गया था। खोखले पेड़ की जड़ों में लोहे के बने दो भारी-भरकम गोले मिले थे। एक गोला लगभग 50 किग्रा का था।
सीढ़ियां में अंदर की तरफ हो रहा है चूने का प्लास्टर
सीढ़ी में अंदर की तरफ चूने के प्लास्टर का काम हो रहा है। इस तरह का प्लास्टर मुगल काल में किया जाता था। यह दरवाजा और सीढ़ी मुगल काल में ही बनाई गई थीं।

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