Sunday, September 14, 2025
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अर्चना संस्था द्वारा दीपावली पर स्वरचित काव्यांजलि

कोलकाता : कोलकाता की प्रसिद्ध संस्था अर्चना द्वारा स्वरचित कविता, गीत और गजलों से दीपावली पर्व पर अपनी काव्यांजली प्रस्तुत की गयी । जूम पर हुए इस कार्यक्रम में इंदू चांडक, हिम्मत चोरडिया, सुशीला चनानी, मृदुला कोठारी, विद्या भंडारी, भारती मेहता, उषा श्राफ, नौरतनमल भंडारी, संगीता चौधरी, मीना दूगड़, डॉ वसुंधरा मिश्र, बनेचंद मालू आदि सदस्यों ने भाग लिया। दीपावली पर्व अपने भीतर के अंधेरे को दूर करने का त्योहार है जिस पर सभी रचनाकारों ने अपने अपने तरीके से रचनाओं का पाठ किया। कवयित्री मृदुला कोठारी ने गंगा पावनी शृंगारिक मन भावनी/दीप झिलमिल रख दिए हैं/कितने ही प्रिय द्वार पर, संगीता चौधरी, ने चाय नाश्ता देने के बाद (बाल दिवस पर व्यंग्य) / जगमग दीपों की लगी है कतार(गीत) हिम्मत चोरडिया ने गीतिका-मँहगाई की मार पड़ी है,कैसे लाज बचाऊँ, मुक्तक-हाथ पसारे जो जीवन में, रोटी उसको मत देना। इंदु चांडक दीप ने आह्वान कर जब साथियों को बुला लिया। सुशीला चनानी ने कविता काश! चिपके होते हमारे रेशे प्रेम की चाशनी में डूबकर बनाते एक खूबसूरत मजबूत पहचान/काश! देख पाती कभी ऐसी रंग रेजिन भी कभी ,जिसने उतारे हों मन के रंग अपने जीवन में भी/ गीत-साज हो न कोई हालात हो न कोई बस लब से हो मेरी गुफ्तगु वही बंदगी कबूल है। इस अवसर पर बनेचंद मालू ने कहा कि बेहतर और सारगर्भित प्रस्तुतियां समाज को एक संदेश दे रही हैं। यह इन्दु चांडक का सफल प्रयास है। कार्यक्रम के प्रारंभ में अर्चना संस्था से जुड़े वरिष्ठ कवि नर-नारायण हरलालका के निधन पर अर्चना की सदस्याओं सुशीला चनानी ने हरलालका जी की कविता सुना कर , मृदुला कोठारी और विद्या भंडारी ने संस्मरण सुनाकर शोक प्रकट किया। विद्या भंडारी ने दीप के माध्यम से एकता का संदेश दिया – एक दीप तुम जलाई,एक दीप मैं जलाऊँ सफर जिन्दगी का उलझनों में गुजर गया, भारती मेहता ने दीप होते हैं कई तेलमाटी के/ मोम के दीप /विदयुत दीप/ तारा दीप और नेत्रदीप/लेकिन अंधेरा फिर भी बढ़ता जा रहा….हिम्मत चोरड़़िया ने मंगलदायक दृश्य था, दीये जले अनेक/जगमग आँगन हो गया,सबके मुख को देख।।वरिष्ठ कवयित्री प्रसन्न चोपड़ा ने मन में उमंग तरंग नहीं है,साथ सभी कोई संग नहीं है /धूमिल से सब चित्र यहां पर,जीवन में कोई रंग नहीं है, मीना दूगड़ ने आज जिधर देखो ,उधर पेकेज की धूम और दिवाली का त्यौहार और मेरे विचार। बनेचंद मालू नेे बढे़ शाश्वत प्रकाश की ओर, कायदा कमजोर मत करो सुनाया। नौरतनमल भंडारी ने दीपावली पर दो कविताएँ सुनाई। डॉ. वसुंधरा मिश्र ने सुदर्शन चक्र और छोटी दीपावली पर रचनाएँ सुनाई। एक सुंदर कार्यक्रम और सार्थक गोष्टी के लिए सभी को हार्दिक धन्यवाद विद्या भंडारी ने दिया और सुशीला चनानी ने कार्यक्रम का संचालन किया। तकनीकी सहयोग इंदू चांडक का रहा।

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