कोलकाता । नए वर्ष 2026 का स्वागत करते हुए अर्चना संस्था ने काव्य गोष्ठी की। आज सारा विश्व तुम्हारा स्वागत कर रहा है/वैसे हर कोई यह भी जानता है कि/ पूर्वजों की तरह /तुम भी पल- पल दिन- दिन /सप्ताह – महीनों के रूप में बीत ही जाओगे-संजू कोठारी और जीवन जीने की कला, नहीं जानते लोग।त्याग और संयम बिना,लग जाते हैं रोग। मानव जीवन श्रेष्ठ है, कहते गुरु श्रुति संत।पाकर तू पहचान ले, जिसका आदि न अंत। ।एवं गीत -कोई गीत गायें चलो गुनगुनायेंं-इंदू चांडक ने सुना कर अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय दिया। कवि रच़ो मात्र रचना तेरी जीवित होगी । सर्वस्व यहां नशवर है सत्य यही साथी इस लिये सत्य की ही धारा में बहना है। बस सृजन कऱो अविराम नही गति को रोको तुमको हीं कालजयी बन करके रहना है।-कवि चिराग ने अपनी रचना द्वारा यह संदेश दिया।
कामना कम हो रही /और कम हो जाएगी
प्रज्ञा, विवेक,जागृति वही काम आएगी ।-प्रसन्न चोपड़ा ने अपनी रचना सुनाई ।कुण्डलिया छंद-1.दुश्मन सुन ले ध्यान से, 2.आगत सुखकर तब बनें, 3..रचना पर लाईक करें, 4.शादी को कहिए जुआ। हिम्मत चोरड़िया ने सुना कर सबका मन मोह लिया।
जीत लेने गई थी, हार लेकर लौटी /रोशन होने गई थी
खुद जलकर लौटी l/लेने से ज्यादा बलवती हुई
देने की चाह /राजा बन गई थी /रंक होकर लौटी l
– भारती मेहता ने सुना कर वाहवाही लूटी ।, झांक रहे हैं खिड़की से सूर्य देव भगवान, हर साल खूबसूरत कैलेंडर कामयाबी की तलाश में आते हैं, राजस्थानी गीत*महानै धोरा रे मेवे री महक प्यारी लागे, इण मोरां रे पैरां री ठुमक प्यारी लागे – – मृदुला कोठारी ने नए वर्ष का स्वागत किया ।सर्द पूस की रात, आज चली पी के द्वार–संगीता चौधरी ने बहुत सुंदर रचना पेश की।
दिसम्बर जा रहा है इस वर्ष की होगी विदाई, नूतन वर्ष के स्वागत में सबने हैं पलकें बिछाई – सुशीला चनानी ने अपने भावों को शब्दों की माला में पिरोया और आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दी।
वसुंधरा मिश्र ने अपनी रचना बावरा मन में आने वाले भविष्य को रेखांकित करते हुए कहा कि मायावी और रहस्यमयी छत /बादलों के बीच कोई घर /भला कोई कैसे टिक सका है?।.. मन बड़ा ही बावरा हुआ जाता है ।
धन्यवाद और कार्यक्रम का संचालन अर्चना संस्था की सक्रिय सदस्या इंदू चांडक ने किया। वसुंधरा मिश्र ने जानकारी दी ।





