कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से आयोजित काव्य गोष्ठी में स्वरचित कविताएँ पढी़ गईं ।इंदू चांडक द्वारा आयोजित इस गोष्ठी में भारती मेहता, मृदुला कोठारी, प्रसन्न चोपड़ा, हिम्मत चोरडिया, उषा श्राफ, संगीता चौधरी, सुशीला चनानी, मीना दूगड़ आदि कवयित्रियों ने अॉन-लाइन अपनी रचनाएं सुनाई ।हिन्द और हिन्दी से प्यार है इतना कि /हर तरफ, यत्र – तत्र अनुस्वार नजर आता है। /कृष्ण के मुकुट के मयूर पंख के मध्य नीलवर्ण अनुस्वार और /राधा की चूनर में लगे गोल चमचमाते सितारे से अनुस्वार!भारती मेहता ने अहमदाबाद से अपनी रचना में हिंदी के प्यार को दर्शाया।
काव्य गोष्ठी में पढी गयी रचनाओं में “हम है बुझे दीपक पडे हैं उपेक्षित किसी कोने में /मन के दीप जलाओ /मन में का तम पसरा है उसको दूर भगाओ।” सुशीला चनानी ने सुनाई। प्रसन्न चोपड़ा ने
“नई भोई सी,नई किरण सी, नया रूप है तेरा, उठते ही बस तुमको देखूं,आए नया सवेरा।”, मीना दूगड़ ने उम्र की दहलीज पर सुरमई सांझ की सुगबुगाहट सी होने लगी है और बन जाना आंख तुम दादोसा की, उषा श्राफ ने” जब जब होती अमावस की रात/चंदा का नहीं होता साथ” सुनाया। हिम्मत चोरड़िया प्रज्ञा ने गीत-कर्म जो करता नहीं वह, जय कभी पिता नहीं।/दोष देता भाग्य को जो, गीत नव गाता नहीं।।, कुण्डलिया-बातें कहते ज्ञान की, मन में भरे विकार। मठाधीश देखे कई, जिनके कुटिल विकार।।सुनाया। मृदुला कोठारी ने /हे गंगा जय गंगा कहकर आरती उतारे /रजत थल में भर के सितारे आरती उतारे /आशा के दीपक की लडीया जलाये रखीये/ कौन धीमे स्वर में अन्तर में बोलते रहिए।इंदू चांडक ने दोहा-कल क्या होगा क्यों डरें, कल का करें न शोक।/किसमें ताकत आज भी, सके समय को रोक।।
गीत -कोई बता दे कौन है वो/कहता है तुम मेरी रचना हो सुनाकर अपनी बात कही। डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि संगीता चौधरी ने “आओ आओ दीप जलाएं आलोकित संसार करें /जगमग करने सारे जगत को हर एक दिल में प्यार भरे। सुना कर अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया।