नयी दिल्ली : अनलॉक 5.0 के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 15 अक्तूबर से स्कूल खोलने को लेकर हरी झंडी दे दी है। मगर अब भी बहुत से राज्य ऐसे हैं जो स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं। जहां कुछ राज्य अब भी इस बात पर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि स्कूलों को कब खोला जाए। वहीं कई त्योहारों के मौसम के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि अधिकांश राज्यों में माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। राज्यों में विभिन्न सरकारी विभागों के भीतर परामर्श जारी हैं, जिनमें से कई ने अपनी कैबिनेट बैठकों में भी इस मुद्दे को उठाया है। हितधारकों, विशेषकर माता-पिता के साथ भी बैठकें जारी हैं। कई राज्यों ने स्थिति की समीक्षा के लिए पैनल बनाए हैं। हरियाणा पहले ही स्कूलों को खोल चुका है। वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड अक्तूबर के तीसरे हफ्ते से स्कूल खोलने के लिए तैयार हैं।
उत्तर प्रदेश चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोल रहा है। राज्य में 19 अक्तूबर से नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं। लेकिन उपस्थिति दर्ज करवाना अनिवार्य नहीं होगा क्योंकि छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं को जारी रखने का विकल्प होगा। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिवाली के बाद स्कूल खोलने के संकेत दिए हैं।
महाराष्ट्र ने हाल की कैबिनेट की बैठक में दिवाली खत्म होने के बाद इसपर फैसला लेने का निर्णय लिया है। गुजरात भी दिवाली का इंतजार करेगा। वहीं ओडिशा और असम ने दुर्गा पूजा खत्म होने तक स्कूल नहीं खोलने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश ने दो नवंबर की एक अस्थायी तिथि निर्धारित की है। दिल्ली, गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं लिया है। कई राज्यों को लगता है कि स्कूल खोलने की आवश्यकता सीमित या बिना इंटरनेट की पहुंच वाले छात्रों के लिए है।