अब विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए पीएचडी अनिवार्य: प्रकाश जावडेकर

नई दिल्ली : अब विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी। क्योंकि सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध को बढ़ावा और गुणवत्ता में सुधार के लिए पहली बार कॉलेज और यूनिवर्सिटी शिक्षकों की भर्ती में अलग नियम व मापदंड बनाए हैं। खास बात यह है कि एपीआई में बदलाव किया है, जिसमें अब कॉलेज शिक्षकों को प्रमोशन के लिए रिसर्च नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि उनका काम छात्रों को बेहतर शिक्षा मुहैया करवाना है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर के मुताबिक, वर्ष 2021-22 सत्र से यूनिवर्सिटी में अस्सिटेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य होगी। जबकि कॉलेजों में पहले की भांति नेट और मॉस्टर डिग्री के आधार पर शिक्षक बन सकते हैं। लेकिन यदि कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफेसर पद पर तैनात शिक्षक को प्रमोशन (एसोसिएट प्रोफेसर बनना) चाहिए होगी तो पीएचडी जरूरी होगी। इसके अलावा यदि कोई कॉलेज शिक्षक यूनिवर्सिटी में जाकर सेवा देना चाहता होगा तो भी पीएचडी की डिग्री अनिवार्य रहेगी।ओलंपिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स के मेडल विजेताओं के लिए विशेष वर्ग बनाया गया है, जिसमें अस्सिटेंट डायरेक्टर / कॉलेज डायरेक्टर, फिजिक्ल एजुकेशन, स्पोट्र्स और डिप्टी डायरेक्टर, फिजिकल एजुकेशन के तहत भर्ती होंगी।

खास बातें – 

. देशभर के विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती के लिए एक जुलाई 2021 से पीएचडी अनिवार्य होगी।
. कॉलेजों में पहले की तरह मास्टर डिग्री के साथ नेट या पीएचडी के तहत शिक्षक बन सकते हैं।
. यूनिवर्सिटी शिक्षक की प्रमोशन के दौरान रिसर्च और कॉलेज शिक्षक को बेहतरीन पढ़ाई को आधार बनाया जाएगा।
. एपीआई में बदलाव किया गया है, अब शिक्षकों का मूल्यांकन ग्रेडिंग सिस्टम से होगा जबकि यूनिवर्सिटी शिक्षक को रिसर्च के आधार पर स्कोर मिलेगा।
.दुनिया की टॉप पांच सौ सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से पीएचडी धारक सीधे यूनिवर्सिटी या कॉलेज स्तर पर अस्सिटेंट प्रोफेसर पद पर भर्ती हो सकते हैं।
– यूनिवर्सिटी या कॉलेज स्तर पर अस्सिटेंट प्रोफेसर पर नए भर्ती होने वाले शिक्षकों को एक महीने का इंडेक्शन प्रोग्राम के तहत ट्रेङ्क्षनग लेनी अनिवार्य होगी।
– यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को सिर्फ शोधकार्यो पर फोकस करना है, जिसमें एमफिल और पीएचडी छात्रों को बेहतरीन शोध करवाने में मदद करनी है। जबकि कॉलेज स्तर के शिक्षकों अपने पसंद से शोध में भाग ले सकते हैं, लेकिन अनिवार्य नहीं होगा। उनका काम पढ़ायी, छात्रों को अधिक से अधिक विषयों समेत कोर्स से जोडना रहेगा। इसके अलावा छात्र की ओवरऑल पर्सानालिटी डेवलेपमेंट में बढ़ावा देना शामिल है।

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