नयी दिल्ली : सरकार जल्द ही बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान बनाने जा रही है। सरकार की तरफ से संसद के मानसून सत्र में जूवेनाइल जस्टिस (जेजे) एक्ट में संशोधन संबंधी बिल पेश किया जाएगा। बिल के पास होने के बाद से बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया केवल दो महीने में ही पूरी हो सकेगी। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के सेक्शन दो (उपधारा 23 के तहत बच्चा गोद लेने संबंधी कानूनी प्रक्रिया ) के नियमों में बदलाव की मंजूरी मिलनी है।
इसके बाद न्यायालयों का चक्कर लगाने से भावी अभिभावकों को मुक्ति मिल जाएगी। वह पूरी प्रक्रिया पर निचले यानी जिलाधिकारी स्तर से अंतिम मुहर लगवा सकेंगे। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने साल 2017 में गोद लेने के नियमों में बदलाव कर जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन एक्ट 2017 को लागू किया था। इसे फिर से संशोधित कर और सरल बनाया जा रहा है।
नए नियम गोद लेने की प्रक्रिया को व्यवस्थित करके देश में गोद लेने के कार्यक्रम को और मजबूत करेंगे। अभी जिलाधिकारी कार्यालय के मातहत आने वाली बाल संरक्षण कमेटी की संभावित या भावी अभिभावकों का भौतिक सत्यापन करती है। सारी व्यवस्था ऑनलाइन होने के कारण संभावित अभिभावक सीधे ऑनलाइन रजिस्टर होते हैं। सत्यापन के बाद वे गोद लेने वाली एजेंसियों के पास जाते हैं।
अभी नियम यह है कि बच्चा गोद लेने के लिए सारी प्रक्रिया पूरी करने और गोदनामा पर वैधानिकता की अंतिम मुहर के लिए कोर्ट से अनुमति लेनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में कई बार दो-दो साल का समय भी लग जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इस समय 850 से 900 मामले कोर्ट से अनुमति की बाट जोह रहे हैं। गोद लिए गए बच्चों के आँकड़ों पर नजर डाले तो मार्च 2018 तक 3,276 बच्चे गोद दिए गए थे। विदेशियों को 651 बच्चे गोद दिए गए। इस समय लगभग 15 हजार संभावित अभिभावक अपनी बारी के इंतजार में हैं। लिहाजा इस प्रक्रिया से शीघ्र निस्तारण में मदद मिलेगी। एक अनुमान के मुताबिक देश में 50 हजार अनाथ बच्चे हैं। ऐसे में नियमों को सरल बनाकर और बच्चों को छत दी जा सकेगी।