अब घरेलू प्रवासी कहीं भी दे पाएंगे वोट, चुनाव आयोग विकसित किया रिमोट वोटिंग सिस्टम

नयी दिल्ली । पिछले साल 29 दिसबंर को चुनाव आयोग ने वोट प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम आगे बढ़ाया, जब आयोग ने रिमोट ईवीएम या आरवीएम सिस्टम को डेवलेप किया। इसकी मदद से प्रवासी नागरिक बिना गृह राज्य आए वोट डाल पाएंगे। चार साल पहले टीओआई ने ‘लॉस्ट वोट्स’ मुहिम के जरिए उन लाखों प्रवासी भारतीयों की परेशानी को उजागर किया था, जो वोट देना चाहते थे लेकिन इसके लिए भारत आना उनके लिए मुश्किल था। इस सिस्टम के सामने आने के बाद ऐसे लोग भी वोट डाल पाएंगे। चुनाव आयोग ने देश की सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों को रिमोट वोटिंग सिस्टम की लीगल, प्रशासनिक और तकनीकी पहलुओं की जानकारी देने के लिए पत्र लिखा है। आयोग ने 31 जनवरी तक इन पार्टियों से इस पर फीडबैक भी मांगा है। लेकिन आखिर ये रिमोट वोटिंग सिस्टम है क्या और ये कैसे काम करेगा? आइए बताते हैं।

रिमोट वोटिंग की जरूरत
भारत में करीब एक तिहाई आबादी वोट नहीं देते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 30 करोड़ लोगों ने वोट ही नहीं दिया। ये संख्या अमेरिका की कुल आबादी के बराबर है। चुनाव आयोग ने लोगों के वोट न देने के तीन कारण बताए। इसमें शहरों में चुनाव के प्रति उदासीनता, युवाओं की कम भागीदारी और प्रवासी नागरिकों का दूर रहना शामिल है। रिमोट वोटिंग सिस्टम इन्हीं प्रवासी लोगों के लिए काम करेगा।

क्या कहते हैं नियम?
फिलहाल समस्या यह है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19 के तहत मतदाता केवल उसी निवार्चन क्षेत्र में वोट डाल सकता है, जहां को वो निवासी है। अगर आप नौकरी या पढ़ाई की वजह से किसी दूसरी शहर या राज्य में शिफ्ट हो गए हैं, तो आपको उस जगह का नया वोट बनवाना होगा और पुरानी वोटर लिस्ट से अपना नाम भी हटवाना पड़ेगा। लेकिन ये प्रक्रिया काफी जटिल है इसलिए कई लोग नए सिरे से वोट बनवाने की जहमत नहीं उठाते। इसकी सबसे बड़ी ये है कि वो ये नहीं जानते कि नई जगह पर वो कितने वक्त तक रहेंगे।

नियम यह भी है कि वोटर्स को मतदान केंद्र पर जाकर ही वोट देना होता है। पोस्टल बैलेट का ऑप्शन केवल चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी, आवश्यक सेवाओं में लगे सरकारी कर्मचारी, 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, दिव्यांग और कोविड पॉजिटिव वोटर्स के लिए है। 2015 में घरेलू प्रवासियों को मतदान के अधिकार से वंचित करने के एक मामले की सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से रिमोट वोटिंग के ऑप्शन पर विचार करने के लिए भी कहा था।

चुनाव आयोग ने क्या कदम उठाए?
सुप्रीम कोर्ट के विचार के बाद 29 अगस्त 2016 को चुनाव आयोग के पैनल के प्रतिनिधियों और राजनीतिक पार्टियों के बीच इसे लेकर चर्चा शुरू हुई। आयोग के पैनल ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की एक स्टडी को देखा, जिसमें घरेलू प्रवासन से मतदान पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया गया था। इस स्टडी में सरकारी मंत्रालय, संगठनों और एक्सपर्ट्स के साथ चर्चा करके एक रिपोर्ट तैयार की गई थी।

प्रवासी मतदाताओं के लिए इंटरनेट वोटिंग, प्रॉक्सी वोटिंग, तय तारीख से पहले मतदान और पोस्टल बैलेट जैसे समाधानों पर विचार किया गया, लेकिन चुनाव आयोग ने इनमें से किसी की सिफारिश करने से परहेज किया। इसके बजाय आयोग ने मतदाता सूची की तरफ फोकस किया ताकि किसी भी व्यक्ति के दो वोट न बन पाएं।

बाद में चुनाव आयोग ने आईआईटी मद्रास और अन्य संस्थानों के प्रतिष्ठित तकनीकी एक्सपर्ट्स के परामर्श से रिमोट वोटिंग पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया। इस प्रोजेक्ट में मतदाताओं को उनके निवास स्थान से दूर मतदान केंद्रों पर टू-वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके बायोमेट्रिक डिवाइस और वेब कैमरे की मदद से वोट डालने की अनुमति दी।

आरवीएम के लिए अब जोर क्यों?
पिछले साल मई में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने उत्तराखंड के सुदूर मतदान केंद्रों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने 18 किलोमीटर की यात्रा की। उन्होंने पहली बार जाना कि कम मतदान होने के पीछे घरेलू प्रवासन कितना बड़ा कारण है। इसके साथ ही प्रवासी मतदाता केवल इसलिए वोट नहीं दे पाते क्योंकि वो वोटिंग वाले दिन अपने क्षेत्र में नहीं पहुंच पाते। इसके बाद चुनाव आयोग ने रिमोट वोटिंग सिस्टम को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन किया और 29 दिसंबर को सभी राजनीतिक पार्टियों के सामने ड्राफ्ट पेश किया, जिसमें इस सिस्टम के तमाम पहलुओं का जिक्र है।

चुनाव आयोग ने ईवीएम की आपूर्ति करने वाले दो पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) के साथ काम किया। आयोग ने ईवीएम के मौजूदा ‘एम3’ मॉडल पर आधारित रिमोट वोटिंग सिस्टम को मजबूत और फुलप्रूफ बनाने के लिए इन संस्थाओं के साथ काम किया। ईसीआईएल ने अब आरवीएम का एक प्रोटोटाइप विकसित किया है जो एक रिमोट पोलिंग बूथ से 72 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करा सकता है। आरवीएम ईवीएम की तरह ही नॉन नेटवर्क डिवाइस है। चुनाव आयोग का दावा है कि बिल्कुल सुरक्षित है।

कैसे काम करता है आरवीएम?
इसे समझने के लिए मान लीजिए कि आप उत्तर प्रदेश में पैदा हुए हैं और वहीं आपका वोट है। लेकिन नौकरी के सिलसिले में आपको महाराष्ट्र में रहना पड़ रहा है। अब वोटिंग वाले दिन महाराष्ट्र में ही एक खास वोटिंग स्टेशन होगा, जहां से आप उत्तर प्रदेश में अपने नेता को चुन पाएंगे। इस वोटिंग स्टेशन से आप तो वोट डाल ही पाएंगे साथ में उत्तर प्रदेश के अन्य विधानसभा के लोग भी वोट दे पाएंगे। शुरुआत में ये रिमोट वोटिंग सिस्टम इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लगाए जा सकते हैं। आरवीएम वोटिंग स्टेशन पर कई निवार्चन क्षेत्र की जानकारी होगी। जैसे ही निर्वाचन क्षेत्र को चुनेंगे सभी उम्मीदवारों की सूची सामने आ जाएगी। इसे देखकर प्रवासी लोग वोट दे पाएंगे।

क्या चुनौतियां बाकी हैं?

1. कानूनी चुनौतियां
रिमोट वोटिंग सिस्टम के सामने पहली चुनौती तो कानूनी नियम में संसोधन की जरूरत होगी। इसके लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951 में संशोधन करना पड़ेगा। इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल-1960 में भी बदलाव करना होगा। इसमें प्रवासी नागरिकों की दूसरे राज्य में रहने की अवधि और वजह को भी लिखना होगा। साथ ही रिमोट वोटिंग को भी परिभाषित करना होगा।

2. प्रशासनिक चुनौतियां
इसके साथ रिमोट वोटर्स की गणना, रिमोट लोकेशन पर मतदान की गोपनियता, रिमोट वोटिंग स्टेशन की संख्या और स्थान तय करना, दूर-दराज के मतदान केंद्रों के लिए मतदान कर्मियों की नियुक्ति, और मतदान वाले राज्य के बाहर के स्थानों में मॉडल कोड लागू करना।

3. तकनीकी चुनौतियां
रिमोट वोटिंग की प्रक्रिया, मतदाताओं को आरवीएम सिस्टम की समझ,दूर-दराज के बूथों पर डाले गए वोटों की गिनती करना और मतदान वाले राज्य में रिटर्निंग अधिकारियों को नतीजे भेजना।

कैसे होगी रिमोट वोटिंग?
1 रिमोट मतदाताओं को एक तय समय में ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा।
2 रिमोट मतदाताओं द्वारा दी गई जानकारी को उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र में वेरिफाई किया जाएगा।
3 बहु निर्वाचन क्षेत्रों के दूरस्थ मतदान बूथ चुनाव स्थल के बाहर स्थापित किए जाएंगे।
4 मतदान केंद्र पर वोट डालने वाले के वोटर आईडीकार्ड को आरवीएम पर मतपत्र प्रदर्शित करने के लिए स्कैन किया जाएगा।
5 मतदाता आरवीएम पर अपनी पसंद के प्रत्याशी का बटन दबाएंगे।
6 वोट रिमोट कंट्रोल यूनिट में राज्य कोड, निर्वाचन क्षेत्र संख्या और उम्मीदवार संख्या के साथ दर्ज किया जाएगा।
7 वीवीपीएटी राज्य और निर्वाचन क्षेत्र कोड के अलावा उम्मीदवार का नाम, प्रतीक और क्रम संख्या जैसे विवरण के साथ पर्ची प्रिंट करेगा।
8 मतगणना के दौरान आरवीएम की रिमोट कंट्रोल यूनिट उम्मीदवारों के क्रम में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के कुल मतों को पेश करेगी।
9 मतगणना के लिए नतीजे गृह राज्य में रिटर्निंग अधिकारियों के साथ शेयर किए जाएंगे।

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