कहा – 3 साल से घर नहीं जा पाई, यह मेरा तालिबान को जवाब
सूरत । अफगान महिला रजिया मुरादी ने गुजरात की एक यूनिवर्सिटी से एमए (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) में स्वर्ण पदक जीतकर तालिबान को करारा जवाब दिया है। गोल्ड मेडल जीतने वाली रजिया ने कहा, ‘मैं तालिबान को बताना चाहती हूं कि अगर मौका दिया जाए तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती हैं।’ रजिया ने तालिबान में महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को लेकर और महिला छात्रों को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने के लिए अफगानिस्तान के शासकों पर निशाना साधा।
रजिया मुरादी ने 8.6 संचयी ग्रेड हासिल किए हैं। यह औसत उनके विषय में सबसे ज्यादा स्कोर है। सूरत में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय में सोमवार के दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान रजिया को गोल्ड मेडल मिला तो वह सबसे बड़ा आकर्षण रहीं।
यूनिवर्सिटी से ही कर रहीं पीएचडी
रजिया ने बताया कि उन्होंने 2022 में अपने एमए की डिग्री पूरी की। अभी वह यूनिवर्सिटी में ही पढ़ रही हैं और लोक प्रशासन में पीएचडी कर रही हैं। अपने विभाग में टॉप करने वाली रजिया को स्वर्ण पदक के अलावा, शारदा अम्बेलाल देसाई पुरस्कार भी मिला है। वह इस मौके पर खुश भी थीं और उदास भी।
3 साल से नहीं गईं अपने घर
रजिया ने कहा कि 2020 में भारत आने के बाद से वह अपने घर नहीं गई हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं पदक के लिए खुश हूं, लेकिन तीन साल से अपने परिवार से नहीं मिल पाने का दुख है।’ स्वर्ण पदक मिलने की खुशी वह अपने परिवार के साथ फोन पर ही शेयर करेंगी। रजिया ने कहा कि अफगानिस्तान से भारत आने के बाद उनका देश काफी बदल गया है। 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी हुई है।
तालिबानी शासन के नियम
तालिबान ने इस्लामिक कानून की अपनी सख्त व्याख्या को व्यापक रूप से लागू किया है। महिलाओं के लिए औपचारिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया है। महिलाओं को अधिकांश रोजगार से प्रतिबंधित है। उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक के कपड़े पहनने का आदेश दिया गया है।
लौटना चाहती हैं अफगानिस्तान
रजिया ने कहा, ‘मैं अफगानिस्तान की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हूं। मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए मैं भारत सरकार, आईसीसीआर, वीएनएसजीयू और भारत के लोगों का आभारी हूं।’ रजिया मुरादी का सपना अपनी जन्मभूमि पर लौटना और वहां काम करना है।
भारत में पढ़ रहे 14000 अफगानी छात्र
अफगानिस्तान के लगभग 14,000 छात्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और अन्य संस्थानों की छात्रवृत्ति सहायता से भारत में अध्ययन कर रहे हैं। पुरुषों सहित उनमें से अधिकांश ने तालिबान शासन के कारण भारत में अपना प्रवास बढ़ा दिया है।
तालिबानी हरकत को बताया शर्मनाक
रजिया ने कहा, ‘मैंने नियमित रूप से लेक्चर अटेंड किए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। मैंने परीक्षा से कुछ दिन पहले रिवीजन किया।’ तालिबान पर निशाना साधते हुए वह कहती हैं कि यह शर्मनाक है कि उन्होंने लड़कियों और महिलाओं को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुरादी दो साल के एमए प्रोग्राम के लिए भारत आई थीं, लेकिन वापस नहीं लौट सकीं क्योंकि तालिबान ने उनके देश पर कब्जा कर लिया।