अपने काम से प्यार होना बेहद जरूरी है

डोलन मजुमदार शो बिजनेस की दुनिया में बतौर संचालक चर्चित नाम है जो तेजी से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। फिल्म फेयर और आईपीएल 9 जैसे समारोह में अपनी प्रतिभा दिखाने वाली दोलन कई व्यावसायिक व गैर व्यावसायिक संस्थाओं और संगठनों के कार्यक्रमों का संचालन कर चुकी हैं। निश्चित तौर पर यह काम आसान नहीं है और वह भी तब जब कि इस क्षेत्र में आना आकस्मिक तौर पर हुआ है। पेश हैं अपराजिता से डोलन मजुमदार की बातचीत के कुछ अंश –
प्र. इस क्षेत्र में आपका आना कैसे हुआ?
उ. इस क्षेत्र में यानि संचालन करना मेरे कार्यक्षेत्र की योजना का हिस्सा नहीं था। मैंने शुरुआत 25 दिसम्बर 2011 में आसनसोल गैलेक्सी से की थी। न्यूज रीडिंग और एंकरिंग का कोर्स किया मगर इसके साथ ही पॉलिटेक्निक का भी कोर्स किया था। 2 साल नौकरी भी की मगर मगर 10 से 5 की नौकरी करना मुझे पसन्द नहीं था।
प्र. किस प्रकार की दिक्कतें हुईं?
उ. मेरे घरवाले मुझे इंजीनियर बनाना चाहते थे। जब मैं यह क्षेत्र चुना तो मुझे प्रोत्साहन मिला मगर नाराज होने वाले लोग भी बहुत थे। मैंने ई टीवी में पियाली बुटिक के लिए भी एंकरिंग की मगर इवेन्ट इंडस्ट्री में आने के बाद सब कुछ बदल गया।
प्र. शो बिजनेस और ग्लैमर की दुनिया में काम करना कितनी चुनौतीपूर्ण है?
उ. मेरी प्रतियोगिता और मेरी लड़ाई खुद से है। मेरा काम ऐसा है कि मुझे खूबसूरत दिखना पड़ता है और ऐसी ही जीवन शैली अपनानी पड़ती है जो कि खर्चीली है। मैं कई बार जो पहनती हूँ, वह आयोजकों का चयन होता है मगर आईपीएल में इस तरह की पाबंदी नहीं थी। सिर्फ अच्छे कलाकार के दम पर कोई कार्यक्रम या समारोह सफल नहीं होता, अच्छे एंकर का होना जरूरी है। इसके साथ ही आयोजक भी महत्वपूर्ण है। कई तरह के लोग आते हैं, ऐसे में इवेंट मैनेजर की सहायता से उनसे निपटना आसान हो जाता है।
प्र. कभी देर रात तो कभी बाहर, कई तरह की स्थितियों के बीच आप काम करती हैं तो क्या सुरक्षा एक मसला है?
उ. मैं अपनी तरफ से सजग भी रहती हूँ और पेपरस्प्रे या नेलकटर जैसी चीजें भी साथ रखती हूँ। पहले मैं इतनी साहसी यानी बोल्ड नहीं थी मगर ये तो है कि आपकी आवाज में डर नहीं दिखना चाहिए। अब तो फेसबुक पर पेज है, दूसरे एंकरों से दोस्ती है तो दिक्कत नहीं होती। इस मामले में दिल्ली और मुम्बई में स्थिति बहुत अच्छी है और आगे बढ़ने के मौके भी हैं। यह है कि आपको हमेशा नये लोगों से मिलने का मौका मिलता है।
प्र. एकरिंग के आगे जाने के बारे में सोचा है? आपको सबसे अधिक प्रोत्साहन किससे मिला?
. रेडियो और टीवी में जाने का मन है। सबसे अधिक प्रोत्साहन तो माँ से मिला जिन्होंने हर पल मेरा साथ दिया।
प्र. युवाओं को क्या कहना चाहेंगी?
उ. जो कीजिए पूरी तैयारी के साथ कीजिए। यूँ ही बगैर तैयारी के काम नहीं हो सकता इसलिए विषय की समझ होना बहुत जरूरी है इसलिए इसका ध्यान रखना चाहिए।
प्र. क्या सन्देश देना चाहेंगी?
उ. अपने प्रति ईमानदार रहना जरूरी है। शुरू में लोग हतोत्साहित करते हैं मगर लगन और परिश्रम से सब ठीक हो जाता है। अपने काम से प्यार होना बेहद जरूरी है।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।