मथुरा-वृंदावन की होली
होली की बात हो तो सबसे पहला नाम मथुरा-वृंदावन का आता है। यहां फूलों की होली और लट्ठमार होली खेली जाती है। मथुरा-वृंदावन की यह होली दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध है। इस दौरान यहां विदेशी सैलानी भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। एक हफ्ते तक मनाए जाने वाले इस उत्सव के दौरान यहां एक अगल उत्साह देखने को मिलता है। लट्ठमार होली की शुरुआत मुख्य पर्व से लगभग एक सप्ताह पहले होती है।
उदयपुर की शाही होली
अगर इस बार आप शाही होली का आनंद लेना चाहती हैं, तो उदयपुर जा सकती हैं। उदयपुर की शाही होली काफी प्रसिद्ध है। यहां खास तरह से होली मनाई जाती है। इसे शाही होली कहते हैं। होलिका जलाकर शाही तरीके से होली का जश्न मनाया जाता है। इस दौरान सिटी पैलेस में शाही निवास से मानेक चौक तक शाही जुलूस निकाला जाता है। जुलूस में सजे-धजे घोड़े, हाथी शामिल होते हैं। जुलूस के साथ शाही बैंड धुन बजाता चलता है। राजस्थानी गीत-संगीत के साथ यहां काफी भव्य तरीके से होली मनाई जाती है।
आनंदपुर साहिब की होली
पंजाबी तरीके से होली का लुत्फ उठाने के लिए आनंदपुर साहिब जरूर पहुंचें। होली में पंजाब का रंग एकदम अलग होता है। आनंदपुर साहिब में खेली जाने वाली होली की शुरुआत सन 1701 में होला-मोहल्ला त्योहार के रूप में हुई थी। इस त्योहार में सिख समुदाय के लोग कुश्ती, मार्शल आर्ट्स और तलवारों के साथ कई करतब दिखाते हैं। इस साल यह त्योहार 24 मार्च तक चलेगा।
शांति निकेतन का वसन्त उत्सव
होली के एक अलग रंग को देखने के लिए पश्चिम बंगाल में शांति निकेतन की होली में जरूर जाएं। शांति निकेतन में सांस्कृतिक व पारंपरिक अंदाज में गुलाल और अबीर की होली खेली जाती है। इस साल कार्यक्रम की शुरुआत 20 मार्च से होगी। पश्चिम बंगाल में होली को वसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत प्रसिद्ध बंगाली कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। शांति निकेतन में खेली जाने वाली होली में यहां के छात्र आने वाले सैलानियों के लिए कई अनोखे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दौरान लोगों पर रंग और गुलाल भी डाला जाता है। इस त्योहार का बंगाल की संस्कृति में एक खास महत्व है।