Wednesday, August 13, 2025
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अंधेरे में रोशनी की तलाश है विद्या भंडारी का कविता संग्रह ‘स्त्री स्लेट पर लिखा शब्द नहीं’

कोलकाता । साहित्यिकी संस्था की वर्चुअल गोष्ठी में संस्था की अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार विद्या भंडारी के काव्य संग्रह ‘स्त्री स्लेट पर लिखा शब्द नहीं ‘ पर परिचर्चा की गई जिसमें अतिथि वक्ता के रूप में गज़लकार अभिनेता उपन्यासकार और कवि डॉक्टर हृदय नारायण अभिज्ञात ने कहा कि विद्या भंडारी का कविता संग्रह ‘स्त्री स्लेट पर लिखा शब्द नहीं’बहुत ही सार्थक और यथार्थ धरातल पर लिखी गई कविताओं का संग्रह है। उन्होंने कहा कि शांत मन से रची गई इन कविताओं में विचारों भावों की सुभास है ,अंधेरे में रोशनी की तलाश है, कविता के शब्दों में मरुस्थल की शीतल फुहार है जो कुरीतियों पर भी प्रहार करती है, वाद्य यंत्र की झंकार है तो धनुष की टंकार भी। वर्तमान समय में संवेदना को महसूस करना है तो विद्या जी को पढ़ना चाहिए क्योंकि इन कविताओं में उनके अस्सी वर्ष के अनुभव हैं। ‘कामकाजी स्त्री’कविता से मैं बहुत प्रभावित हुआ था।
सशक्त वक्ता साहित्यकार और कवयित्री स्त्री समीक्षक डॉक्टर गीता दुबे जो सशक्त वक्ता के रूप में जानी जाती है । विद्या जी के काव्यसंग्रह में संकलित तमाम कविताओं में उनके जीवनानुभवों का निचोड़ दिखाई देता है। स्त्री जीवन की चुनौतियां और संघर्ष बहुत बारीकी से उनकी कविताओं में अंकित हुआ है। उसके अलावा प्रकृति और प्रेम की सुंदर छवियां भी अंकित हुई हैं। समकालीन जीवन की विसंगतियों पर भी वह बेबाकी से अपने विचार रखती हैं। आधुनिकता और पारंपारिक विचारों का संतुलन उनकी कविताओं को खास बना देता है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉक्टर सुषमा हंस ने विद्या जी को उनके काव्य संग्रह ‘स्त्री स्लेट पर लिखा शब्द नहीं’ के लिए बधाई दी। कहा कि ईमानदारी से लिखी गई इन कविताओं में नारी मन के विभिन्न परतों को खोला गया है और उससे जुड़े विभिन्न सामाजिक पहलुओं को भी उद्घाटित किया गया है ।नारी की संवेदना और उसकी सोच को उजागर करती हुई सत्ता ,भिन्न स्त्रियां, स्त्री, मैं तुमसे कम नहीं ,वजूद स्त्री, माँ, छाता आदि बहुत सी कविताएं हैं जो स्त्री चेतना को दर्शाती हैं।लिव इन, डिजिटल आंधी जैसी कविताओं में मूल्यपरक चिंता व्यक्त की गई है। मैं भारत हूं, बापू, हिंदी दिवस, हिन्दुस्तानी आदि कविताओं में देश प्रेम के विविध रूप मिलते हैं ।काम पर जाती हुई स्त्री में आधुनिक कामकाजी स्त्री के मनोसंघर्ष को गहरी संवेदना के साथ प्रस्तुत किया गया है। सुषमा हंस ने कार्यक्रम के लिए सभी वक्ताओं और श्रोताओं सदस्यों को धन्यवाद भी दिया।कवि और साहित्यकार सुरेश चौधरी , पत्रकार सोनू कुमार , डॉ मंजूरानी गुप्ता कविता कोठारी, कुसुम जैन को धन्यवाद दिया। कवयित्री उर्मिला प्रसाद ने कार्यक्रम का संचालन किया।इस अवसर पर डॉ वसुंधरा मिश्र ने विद्या भंडारी के कविता संग्रह से एक कविता ‘ये कैसे सात फेरे’ का पाठ किया।
विद्या भंडारी ने अपना वक्तव्य रखते हुए वक्ताओं का आभार प्रकट करते हुए कहा कि मेरी लेखनी में कल्पना कम एवं यथार्थ अधिक है। जो कुछ भी आसपास देखा,स्त्री का संघर्ष , समाज की विसंगतियां,भ्रष्टाचार आदि में कल्पना का स्थान नहीं है।जब जो अनुभूत हुआ वही लिखा।
संचालन उर्मिला प्रसाद द्वारा किया गया यह कार्यक्रम 29 जुलाई 2025 4:30 शाम गूगल मीट पर किया गया जिसमें श्रोता बिहार और इंदौर से भी जुड़े । साहित्यिक के सभी सदस्यों ने इसमें भाग लिया। विद्या भंडारी,कुसुम जैन, डॉ अभिज्ञात , उर्मिला प्रसाद , डॉ गीता दूबे और सभी वक्ताओं और श्रोताओं को डॉक्टर सुषमा हंस ने धन्यवाद दिया।सुंदर और सुचारू रूप से कार्यक्रम का संचालन किया हिंदी और बांग्ला साहित्य सेवी उर्मिला प्रसाद ने । कुसुम जैन,डॉ मंजूरानी गुप्ता, कविता कोठारी ने भी कविता संग्रह ‘स्त्री स्लेट पर लिखा शब्द नहीं’ कविता संग्रह पर परिचर्चा करते हुए कवयित्री को शुभकामनाएं दी। डॉ वसुंधरा मिश्र ने इस कार्यक्रम की जानकारी दी।

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