नोएडा : डॉक्टरों की लेखनी की जटिलता अकसर चर्चा का विषय बनी रहती है। दवाई की पर्ची पर डॉक्टरों की लिखावट का पढ़ना और समझ पाना आम आदमी के लिए मुश्किल होता है। दुनिया में हिन्दी के बढ़ते कद के चलते अब कई डॉक्टरों ने हिन्दी में ही दवा के पर्चे बनाने की मुहिम छेड़ दी है। इस मुहिम की शुरुआत उत्तर प्रदेश के नोएडा से शुरू हुई है।
शहर के जिला अस्पताल के एक डॉक्टर ओपीडी में अह हिन्दी में भी दवा के पर्चे बना रहे हैं। डॉक्टर का कहना है कि अगर चीनी डॉक्टर अपनी राष्ट्र भाषा में पर्चा बना सकते हैं तो भारतीय डॉक्टर हिन्दी में क्यों नहीं लिख सकते।कई मरीज करते थे माँग
सेक्टर-30 जिला अस्पताल के फिजिशन डॉ. संतराम वर्मा बताते हैं कि वह ओपीडी में पर्चे पर जांच और दवाएं हिन्दी में ही लिखते हैं ताकि मरीजों को भी समझ आए कि उन्हें क्या दवा और जाँच लिखी है। जब मरीज ओपीडी में आता है तो वह कहता है कि उसे हिंदी में ही दवा लिख दीजिए ताकि कोई परेशानी न हो।
मरीजों के लिए समझना होता है आसान
डॉ. संतराम ने बताया कि उनकी मुहिम में कुछ और डॉक्टर भी शामिल हुए हैं और उन्होंने भी हिन्दी में पर्चे बनाने शुरू कर दिए हैं। जिला अस्पतालों में आने वाले अधिकांश मरीज ग्रामीण इलाकों के होते हैं। हिन्दी में पर्चा होने पर उन्हें भी बार-बार डॉक्टर से कुछ पूछने की जरूरत नहीं पड़ती है।