हिन्दी दिवस पर काव्य-पाठ और ‘टिप टिप बरसा पानी’ पर चर्चा

कोलकाता । भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी कॉलेज के बुक रीडिंग सेशन में डॉ.अभिज्ञात के उपन्यास ‘टिप टिप बरसा पानी’ पर चर्चा हुई, जिसमें बतौर लेखक डॉ.अभिज्ञात भी शामिल हुए। अपने इस नए उपन्यास के तत्वों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इश्क़ पर आधारित इस कृति में आधुनिक युवा वर्ग की मानसिक उथल-पुथल और असमंजसपूर्ण स्थित पर प्रकाश डाला है। इसकी केन्द्रीय पात्र एक महिला प्रोफ़ेसर रम्या है, जो अपने अधिकारों के प्रति सजग है और निर्णय लेने में स्वतंत्र। युवा वर्ग की महत्वाकांक्षाओं और संघर्षों को उपन्यास की केन्द्रीय विषय वस्तु बनाया है। प्रेम के कई कोण इस उपन्यास में उजागर हैं, जिससे प्रेम से रिश्ते की गहरी पड़ताल होती है। डॉ.वसुंधरा मिश्र ने कहा कि उपन्यास में प्रेम को प्राप्त करने के लिए कोई पात्र संस्कारों को छोड़ देता है तो फिर कोई पात्र त्याग और बलिदान की उच्चता तक पहुंचता है। कई प्रकार के प्रेमी पात्र हैं, जिनमें ऐसा भी पात्र है जो प्रेम सम्बंधों का फायदा उठाने से नहीं चूकता। विभिन्न तनाव और द्वन्द्वों से गुजरता हुआ यह उपन्यास भारत से लेकर पूरे विश्व में साहित्य विषयक कोर्पोरेट की समस्याओं का पारदर्शी आईना है और विश्व में साहित्य किस प्रकार बाजारवाद का हिस्सा बना है और किस प्रकार उसका प्रचार-प्रसार तंत्र काम करता है ,यह दिखाया गया है। मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं को हथियार बनाने में लिप्त लेखक अपनी पुस्तकों को बेस्टसेलर की कोटि में कैसे लाता है, विश्व में उपन्यासकार और प्रकाशक सर्वोच्च स्थान पाने के लिए क्या उपक्रम चला रहे हैं, इसको दर्शाता है। उपन्यास का घटनाक्रम भारत से लेकर अमेरिका तक फैला हुआ है। चौदह अध्यायों में बंटे इस उपन्यास से प्रोफेसर मीनाक्षी चतुर्वेदी ने ‘लहंगा पड़ेगा बड़ा महंगा’ अध्याय के एक अंश का वाचन किया, वहीं हेमस्मिता राय और अभिषेक सिंह ने ‘कोयल तोरी बोलिया’ अध्याय का वाचन किया।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र 14 सितम्बर हिन्दी दिवस पर केन्द्रित था जिसमें हिंदी पर केन्द्रित कविताओं के साथ-साथ अन्य विषयों पर भी काव्य-पाठ हुआ। सविता पोद्दार ने अपनी कविता राजभाषा सुनायी ‘जो हिंदी दाल भात सी घुली मिली है..वह क्रांति स्वरों में भी गरजती है सुनायी। रेखा ड्रोलिया ने हिंदी को दिलों से जोड़ने वाला सेतु बताने वाली कविता का पाठ किया। डॉ.वसुंधरा मिश्र ने ‘हिंदी की रेल चली’ लंबी कविता सुनाई, जिसमें हिंदी के सभी पक्षों पर प्रकाश डाला। खुशी गुप्ता राय, हेमष्मिता राय, जिनिशा जैन और कृष्णा कपूर ने अपनी कविताएं सुनाईं। डॉ.अभिज्ञात ने अंत में लोगों की फरमाइश पर अपनी ग़ज़ल सुनायी-‘तेरे ख़त फाड़ दिये और भला क्या करता।’ काव्य-सत्र का लतिका और हिमेशमिता ने संचालन किया। रैक्टर और डीन प्रोफेसर डॉ.दिलीप शाह ने अतिथियों का स्वागत स्मृति चिह्नि देकर किया और अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी को अपना प्यार और सम्मान देने का आह्वान किया। डॉ. रेखा नारिवाल ने एक गीत के द्वारा सभी को एकजुट होने का संदेश दिया और उन्होंने ही धन्यवाद ज्ञापन किया।

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