मिदनापुर। विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से ‘हिंदी भाषा और साहित्य’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में विश्वभारती विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रवींद्रनाथ मिश्र ने कहा कि हिंदी भाषा और साहित्य भारतीय संस्कृति के अध्ययन का मार्ग है। संस्कृत भाषा की जननी है। जिस प्रकार माँ बच्चों को भाषा का ज्ञान देती है, उसी प्रकार संस्कृत भी अन्य भाषाओं को जानने में हमारी मदद करती है। उन्होंने कहा साहित्य व्यक्तित्व निर्माण का कारखाना है ।संवाद सत्र में विभाग के विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने अपनी जिज्ञासाओं को उनके समक्ष रखा। स्वागत भाषण देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार प्रसाद ने प्रो. मिश्र का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी भाषा का साहित्य समृद्ध होने के साथ समावेशी भी है। संचालन करते हुए विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि ईश्वरचन्द्र विद्यासागर की जन्मभूमि पर अवस्थित हमारा हिंदी विभाग भारतेंदु और विद्यासागर के बीच के हिंदी- बांग्ला संवाद और सृजन की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।हिंदी भारतीय साहित्य के बीच एक सृजनात्मक एवं सांस्कृतिक पुल है।इस आयोजन को सफल बनाने में विद्यार्थियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धन्यवाद ज्ञापन देते हुए सहायक प्रोफेसर डॉ श्रीकांत द्विवेदी ने कहा कि हिंदी भाषा और साहित्य की जड़ें भारतीयता,ज्ञान और मनुष्यता की ओर जाती हैं।