सैयद अकबरुद्दीन जिन्होंने यूएन में कर दी पाक की बोलती बंद

नयी दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और चीन के भारत के खिलाफ सभी मंसूबे नाकाम हो गए। सैयद अकबरुद्दीन ने अपने तर्कों से ही पाकिस्तान और चीन की बोलती बंद कर दी। अकबरुद्दीन साल 1985 में भारतीय विदेश सेवा से जुड़े थे। वह पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ भी माने जाते हैं। सैयद अकबरुद्दीन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग में काउंसलर के पद रह चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र में शुक्रवार को पाकिस्तान और चीन ने भारत के जम्मू-कश्मीर पर लिए गए फैसले का विरोध करते हुए ये बैठक बुलाई थी। लेकिन भारत ने इनकी नापाक साजिशों को अपने तर्कों और सबूतों से हरा दिया। भारत की बातें इतनी शानदार थीं कि रूस तक ने भारत का ही समर्थन किया। हालांकि बंद कमरे में संयुक्त राष्ट्र की बैठक होने से पहले ही कई देशों ने भारत और पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत करने को कहा था। बैठक के खत्म होने के बाद जब भारत ने अपनी बात रखी तो हर कोई उससे सहमत था। इसकी कमान संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने संभाली। उन्होंने तर्कों से ही पाकिस्तान और चीन की बोलती बंद कर दी। भारत के तर्कों का असर ये रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के भारतीय प्रयासों की प्रशंसा की। यहां तक कि चीन और पाकिस्तान की कोशिश फेल होने के बाद भी उनका कोई औपचारिक बयान नहीं आया। भारत की इस वैश्विक सफलता का सारा श्रेय विदेश मंत्रालय को जाता है, जिसका नेतृत्व सैयद अकबरुद्दीन ने किया है।
1985 में भारतीय विदेश सेवा से जुड़े
अकबरुद्दीन साल 1985 में भारतीय विदेश सेवा से जुड़े थे। वह पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ भी माने जाते हैं। अकबरुद्दीन ने विदेश मंत्रालय में अब तक कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। अगर उनके परिवार की बात करें तो उनके पिता एस बदरुद्दीन हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष थे। बदरुद्दीन कतर में भारत के राजदूत भी बनाए गए थे। अकबरुद्दीन की मां डॉक्टर जेबा अंग्रजी की प्रोफेसर थीं। अकबरुद्दीन ने भारतीय विदेश नीति को आगे बढ़ाने का काम किया है। वह साल 2015 में हुए भारत और अफ्रीका फोरम समिट के चीफ कोऑर्डिनेटर यानी मुख्य संयोजक भी रह चुके हैं। ये समिट ऐसे समय में हुआ था जब अफ्रीका में चीन का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन फिर भी ये काफी सफल रहा था। वह साल 2012 से 2015 तक भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रह चुके हैं और सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं।
कई देशों में विभिन्न पदों पर रहे
सैयद अकबरुद्दीन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग में काउंसलर के पद रह चुके हैं। इसके साथ ही वह सऊदी अरब और मिस्र में भी काम कर चुके हैं। वह साल 1995 से 1998 तक संयुक्त राष्ट्र में फर्स्ट सेक्रेटरी भी थे। क्रिकेट के फैन अकबुरुद्दीन ने राजनीतिक विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंध में एमए किया है।
पाकिस्तान की बोलती की बंद
भारत की कूटनीति बंद कमरे के बाहर भी हावी रही। सैयद अकबरुद्दीन ने अपनी हाजिरजवाबी, तथ्यों और कूटनीतिक जवाबों से पाकिस्तानी पत्रकारों की बोलती बंद कर दी। कश्मीर पर चर्चा के बाद प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी जिसमें पाकिस्तान के कई पत्रकार बार-बार अकबरुद्दीन से कश्मीर और मानवाधिकारों को लेकर सवाल पूछ रहे थे। पाकिस्तानी पत्रकारों ने सवालों के जरिए भारतीय राजनयिक को घेरने की नाकाम कोशिश की। अकबरुद्दीन ने एक-एक करके उनके सभी सवालों के जवाब देकर उन्हें चुप करवा दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़कर बाकी सभी खंडों को हटाने का फैसला पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। कश्मीर पर लिए गए फैसले से बाहरी लोगों को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “जेहाद के नाम पर पाकिस्तान हिंसा फैला रहा है। सभी मसले बातचीत से सुलझाए जाएंगे। हिंसा किसी भी मसले का हल नहीं है।” अकबरुद्दीन ने कहा, “इस मसले पर बातचीत से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाना बंद करना होगा।” उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर फैसला विकास के लिए किया गया है। हम धीरे-धीरे वहां से पाबंदी हटा रहे हैं। अकबरुद्दीन ने कहा कि हम अपनी नीति पर हमेशा की तरह कायम हैं। आतंकमुक्त माहौल में शांति से मसले को द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाया जाएगा। पाकिस्तान के एक पत्रकार को उन्होंने बिना जवाब दिए बस हाथ मिलाकर चुप करा दिया। एक पत्रकार ने सवाल पूछते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 आपके लिए आंतरिक मुद्दा हो सकता है। जिसे टोकते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि बहुत शुक्रिया यह स्वीकार करने के लिए।
चीन को दिया संदेश
अकबरुद्दीन ने चीनी और पाकिस्तानी मीडिया को संबोधित करने के बाद कहा, “सुरक्षा परिषद की बैठक समाप्त होने के बाद हमने पहली बार देखा कि दो देश (चीन और पाकिस्तान) अपने देश की राय को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की राय बताने की कोशिश कर रहे थे।” ऐसा पहली बार नहीं है जब उन्होंने भारत को सफलता दिलाई हो। इससे पहले वह पुलवामा हमले के बाद भी अमेरिकी टेलिवीजन चैनल के एंकर को लाजवाब जवाब दे चुके हैं। हाल ही में नौ जुलाई को यूएनएससी में बहस के दौरान उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही उसे धो दिया था। इस दौरान अकबरुद्दीन ने दाऊद इब्राहिम, लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के लिए पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि अकबरुद्दीन ऐसे शख्स हैं, जो पर्दे के पीछे काम करते हैं। उनकी इसी विशेषता के कारण उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधि बनाया गया है।

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