कोलकाता । सृजन प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित पोएट्री अड्डा में गत शनिवार गत आठ जुलाई को फ्रैंच के महान कवि जीन कॉक्ट्यू की कविता उत्सव पर विशद रूप से चर्चा की। जीन कोक्ट्यू का जन्म 5 जुलाई 1889 को फ्रांस में हुआ था और उनकी मृत्यु 74 वर्ष की आयु में मिलि- ए – फोरट फ्रांस में हुई थी।वे 20 वीं सदी के कवि, नाटककार, उपन्यासकार, कलाकार, फिल्म निर्माता, विजुअल आर्टिस्ट और आलोचक के रूप में असाधारण व्यक्तित्व के धनी रहे। सृजन द्वारा आयोजित इस कविता अड्डे में 35 से अधिक संख्या में विभिन्न साहित्य भाषा और संस्कृति के लोगों ने कविताओं का आनंद लिया। इस अवसर पर
सृजन की उपाध्यक्ष, प्रोफ़ेसर कृष्णा सेन और अंग्रेजी समन्वयक अंजना बसु दोनों की उपस्थिति रही। प्रो कृष्णा ने कविता अड्डे के सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और समापन पर धन्यवाद दिया। पलाश भद्र ने अपनी विकलांग बीमारी से जूझने के बावज़ूद जीन कोक्ट्यू के अपने दो उत्कृष्ट बांग्ला अनुवाद भेजे जिन्हें बांग्ला समन्वयक दीपक लाहिड़ी ने बहुत ही शानदार ढंग से पढ़ा।
अड्डे की प्रमुख साहित्य चर्चा डॉ. मोहर दास चौधरी ने की जो कलकत्ता विश्वविद्यालय के फ्रेंच विभाग की विभागाध्यक्ष हैं उन्होंने बहुत ही विस्तार से कविताओं की जानकारी दी और जीन कोक्ट्यू की कविताओं का पाठ अंग्रेजी और फ्रैंच दोनों ही भाषाओं में किया जिसे चिन्मय गुहा द्वारा दिया गया था। फ्रैंच और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में कॉक्ट्यू की कविताओं को उनके चित्रों के जरिए भी बताया। प्रो मोहर की कोमल और संवेदनशील आवाज़ में उत्कृष्ट प्रस्तुति सुनी गई। साथ ही वाणिज्य दूतावास की सुंदर फ्रांसीसी महिला, डॉ. सॉल्विग ओबेरसीथर भी देर से आईं, हालांकि वे अपनी कविताओं द्वारा कॉक्ट्यू को सृजन अड्डे में फ्रांसीसी स्वाद के साथ जोड़ने में कामयाब रहीं।
अंग्रेजी प्रोफेसर डॉ. अन्नपूर्णा पालित, जो भाषाओं की प्रेमी हैं, कविता अड्डे का सफल संचालन किया प। प्रत्येक कवि द्वारा सुंदर कविताएँ पढ़ी गईं जिनमें – फहद पाशा (उर्दू) , श्रीपर्णा गंगोपाध्याय ( बांग्ला) , अरुणांशु भट्टाचार्य और अंत में 50 वर्षों से लिख रहे कवि सुजीत सरकार…अमनिता सेन और अमित शंकर साहा द्वारा अंग्रेजी में कविताएं पढी़ गईं – ये दोनों वर्षों से सृजनवादी हैं।और अंत में, हमारी स्थापना के बाद से ही सृजन की प्रशंसक, डॉ वसुंधरा मिश्र द्वारा हिंदी कविताओं का पाठ किया गया । सृजन टीम के सदस्य पवन मस्कारा द्वारा याद की गई, विद्या भंडारी ने संपर्क किया और आमंत्रित किया , जो शुरुआत से ही सृजन में नियमित रूप से भाग ले रही थीं ।
सृजन की काव्य टीम के अन्य सदस्यों को भी अद्भुत कवियों को चुनने और उन्हें स्वीकार करने के लिए बधाई दी गई जिनमें सैयद कवसर जमाल और बांग्ला प्रमुख दीपक लाहिड़ी और उर्दू समन्वयक ज़रीना ज़रीन रहीं।
मंच से पढ़ने वाले कवि भी, जिसकी शुरुआत प्रिय नए कवि सुभाष सरकार और निलीन पुतातुंडा, सुमित लाई रॉय और यहां तक कि जरीना ने भी अपने बहुमूल्य दो शेर सुनाए। इसके अलावा कॉलेजों के दो युवा रचनाकारों दीपांजन छेत्री और अनन्या साहा ने अपनी रचनाएं सुनाई। इस अवसर पर डॉ वसुंधरा मिश्र ने साहित्यकार और भाषा प्रेमी वसंत रूंगटा से बातचीत की। सृजन प्रतिष्ठान सन् 2000 से पोएट्री अड्डे के लिए प्रसिद्ध है । सृजन प्रतिष्ठान के संस्थापक वसंत रूंगटा ने सृजन का परिचय दिया और बताया कि अब तक सृजन प्रतिष्ठान अड्डे में विश्व के सर्वश्रेष्ठ 100 कवियों की श्रृंखला पर महत्वपूर्ण चर्चा हो चुकी है जिसे पुस्तक रूप में भी करने का विचार है। सृजन अड्डे से हम विश्व के विभिन्न प्रसिद्ध साहित्य, संस्कृति, कला, फिल्म थियेटर आदि को सामने लाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा अड्डा है, जहां हमें इन तस्वीरों को पोस्ट करने में सबसे अधिक खुशी मिलती है, डॉ सुजाता दास द्वारा की गई फोटोग्राफी अड्डे का फ्रेम-दर-फ्रेम विवरण देती हैं। हमारे परिवार में हाल ही में शामिल हुई, अनुपमा मैत्रा जो एसोसिएटप्रोफेसर और अंग्रेजी की एचओडी हैं जिन्होंने पिछले महीने विक्रम सेठ पर अड्डा का कुशलतापूर्वक संचालन किया था। जैसा कि आप सृजन सभागार में इन तस्वीरों में देख सकते हैं। पंचायत चुनाव मतदान के बावजूद, हमारे पास यह सृजन अड्डा है जहां हम अपने को साहित्यिक माध्यम से समृद्ध कर सकते हैं । कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।