सुकीर्ति गुप्ता के साहित्य के केन्द्र में नारी:वसुमति डागा

महानगर  की संस्था साहित्यिकी ने मंगलवार,21 जून2016 को भारतीय भाषा परिषद में संस्था की संस्थापिका स्वर्गीया सुकीर्ति गुप्ता की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का स्मरण करते हुए एक गोष्ठी का आयोजन किया।अपने स्वागत भाषण में सभी का स्वागत करते हुए किरण सिपानी  ने स्वाभिमान एवं दायित्व बोध से सम्पन्न कवयित्री,कथाकार,, प्राध्यापिका,रंगकर्मी सुकीर्ति  गुप्ता को  महानगर की अनमोल धरोहर कहा।
गोष्ठी की प्रमुख वक्ता डॉ. वसुमति डागा  ने कहा कि उनके साहित्य के केन्द्र में नारी है।महिलाओं  का दोयम दर्जे का स्थान उन्हें स्वीकार्य नहीं था।यही कारण है कि ‘साहित्यिकी’ जैसी संस्था के माध्यम से वे एक ऐसे संगठन की स्थापना करना चाहती थीं जहाँ पुरुष सत्तात्मक समाज का दबाव न हो।सुकीर्ति जी की कविताएं महानगरीय त्रासदी, प्रकृति की रम्यता,समाज के तीनों वर्गों के चित्रण,, नारी के अनेक चित्रों के साथ-साथ बिम्बात्मकता,भावनात्मकता,वर्णनात्मकता एवं तत्सम शब्दावली के अनोखे रंगों से सुसज्जित हैं। विद्या भंडारी एवं संगीता चौधरी ने उनकी कविताओं की सुन्दर आवृत्ति की।वाणी श्री बाजोरिया एवं प्रमिला धूपिया ने स्व रचित कविताओं के माध्यम से स्मरणांजलि दी।विनोदिनी गोयनका,माया गरानी,एवं सरोजिनी शाह ने उनसे संबंधित संस्मरणों को उद्धृत किया।अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुसुम जैन ने सुकीर्ति गुप्ता को स्वयं में एक संस्था की संज्ञा देते हुए कहा कि हर  गोष्ठी में उपस्थित रहकर सक्रिय भागीदारी करना एवं साहित्यिक संस्कार देना उनकी अनोखी विशेषता थी।कार्यक्रम का सफल संचालन अमिता शाह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन रेणु गौरीसरिया ने किया।

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