दिसम्बर बस खत्म होने जा रहा है। एक सप्ताह और नया साल शुरू हो जाएगा। 2024 पीछे छूट रहा है और 2025 का स्वागत करने को हम तैयार खड़े हैं। देखा जाए तो साल बदलते जाते हैं मगर तारीखें बदलने से कहां कुछ बदलता है। सोचते हैं हम, कब ऐसी तारीख आएगी जब इस धरती पर खुशियां होंगी, कहीं कोई नफरत नहीं होगी..कहीं कोई द्वेष नहीं होगा। इस साल हमने कई ऐसे चेहरे खोए जो अपने साथ जैसे पूरा युग लेते गए । रतन टाटा, शारदा सिन्हा, जाकिर हुसैन…ये तमाम लोग अपने -आप में पूरा युग रहे। हम हर बार किसी को खुश करने के लिए कुछ न कुछ देते हैं और सोचते हैं कि भौतिक चीजों को पा लेने भर से ही खुशी मिल जाती है मगर ऐसा नहीं होता। मुझे लगता है कि आप अगर किसी को सबसे अधिक कुछ कीमती चीज दे सकते हैं तो वह आपका समय है। समय दीजिए और स्मृतियां बनाइए…आप इससे खूबसूरत उपहार किसी को नहीं दे सकते। दुनिया में हर चीज खरीदी जा सकती है मगर वक्त खरीदा नहीं जा सकता। आखिरकार हम जो पाते हैं या खोते हैं या किसी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं..वह हमारी स्मृतियों में सुरक्षित हो जाता है। लोगों को लगता है कि पैसे कमाने की मशीन बनकर आप दुनिया खरीद सकते हैं और परिवार के लिए खुशियां खरीद सकते हैं मगर ऐसा नहीं है। पैसा जरूरी है, पैसा कमाना और इतना पैसा कमाना कि आप अपनी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर न रहें..बहुत ज्यादा जरूरी है मगर पैसा कमाने में और खुद पैसा कमाने की मशीन बना लेने में जमीन -आसमान का फर्क है । आज कोई भी रिश्ता पैसा और स्टेटस देखकर जोड़ा जा रहा है पर आप कुछ नहीं देख पा रहे हैं तो वह व्यवहार है, आचरण है, जिन्दगी को लेकर आपकी सोच है। आपका रहन -सहन और संस्कृति है। चार लोगों को खुश करने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं मगर यह नहीं सोच रहे हैं कि जिन्दगी जब हंसकर या रोकर दो लोगों को ही गुजारनी है तो फिर चार लोगों को खुश करने के लिए अपनी जीवन भर की कमाई स्वाहा करना कहां की बुद्धिमानी है। यह बात सिर्फ शादियों पर ही नहीं बल्कि हर तरह के रिश्ते पर लागू होती है..स्मृतियां साथ चाहती हैं, पैसा उसके बाद की चीज है। कमाइए, खूब कमाइए मगर यह मत भूलिए कि आपके रिश्तों को आपकी जरूरत ज्यादा है। बच्चों को लायक बनाएंगे, आत्मनिर्भर बना देंगे तो पैसे वह खुद ही कमा लेंगे मगर इस समय अगर आप उनको अपना साथ नहीं दे पा रहे तो आप उनसे शिकायत नहीं कर सकेंगे और करनी भी नहीं चाहिए । अपने दोस्तों को, परिवार को, समाज को..काम को उनके हिस्से का समय दीजिए… न ज्यादा और न कम। अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए चाहे वह संवेदना हो, मेहनत हो या कुछ और..शत- प्रतिशत दीजिए मगर पूरी जिन्दगी नहीं..क्योंकि जिन्दगी में संतुलन जरूरी है…चार लोगों के लिए खुद पर अत्याचार करना बुद्धिमानी नहीं है क्योकि जिन्दगी की गाड़ी को भीड़ नहीं खींचती..उसे आप खींचते हैं बस आपके साथी…समय और स्थान के अनुसार बदल जाते हैं..नववर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं ।