श्रीराम नवमी पर विशेष : जहाँ माता सीता के लिए श्रीराम ने अपने बाणों से प्रवाहित की जलधारा

खंडवा क्षेत्र प्राचीन मान्यताओं के अनुसार खांडव वन का हिस्सा रहा है। इस क्षेत्र पर पहले राजा खर दूषण का राज भी माना जाता है। मान्यता के अनुसार अयोध्या से वनवास के दौरान निकले श्री राम ने खंडवा के इस क्षेत्र में एक दिन रूके थे। यहां पर सीता माता को प्यास लगने पर धरती पर बाण चलाकर जलधारा निकाली थी। इसे आज रामबाण कुआं के नाम से जाना जाता है। इसी क्षेत्र में प्राचीन सीता बावड़ी है। इसके पास प्राचीन श्रीराम मंदिर भी बना हुआ है। एक घर में स्थापित इस मंदिर व अन्य मकानों के बीच दबी सीता बावड़ी के बारे में कम ही लोग जानते हैं।

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रामेश्वर आम्रकुंज बीते कुछ सालों में अतिक्रमण के कारण अपना मूल स्वरूप खो चुका है। यहां पर गुप्तेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है। लोक आस्था के अनुसार 14 साल के वनवास के दौरान अज्ञातवास में प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ खांडव वन (वर्तमान खंडवा) आए थे। भगवान श्रीराम ने रामेश्वर क्षेत्र सहित तुलजा भवानी माता मंदिर में आराधना की थी। यहां से अस्त्र-शस्त्र का वरदान लेकर दक्षिण की ओर प्रस्थान किया था। रामेश्वर आम्रकुंज में रामेश्वर मंदिर सहित अन्य मंदिर व प्राचीन मूर्तियां है। इतिहासकारों के अनुसार भगवान शिव के मंदिरों की बनावट से ऐसे प्रतीत होता है कि यह कई निर्माण परमारकालीन है।

जल वितरण के लिए अब होता है उपयोग –  रामबाण कुआं के संबंध में मान्यता है कि इसका पानी कभी खत्म नहीं होता। वर्तमान में इस कुआं को नगर निगम ने अपनी अधीन रखा है। इसमें नर्मदा जल का पानी छोड़ा जाता है व यहां से उसे टंकी में चढ़ाकर वितरित किया जा रहा है।

(साभार – नयी दुनिया)

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