रंग-बिरंगे कार्टून और कहानियों संग बच्‍चे सीखेंगे जेनेटिक्‍स के मुश्किल फंडे

वाराणसी । आजकल बहुत‍ सी ऐसी आनुवंशिक बीमारियां हैं जिनका इलाज मुमकिन नहीं है। इन बीमारियों का अपना दर्द तो है ही लेकिन इस तकलीफ को समाज की असंवेदनशीलता और अज्ञान कई गुना बढ़ा देता है। इसके लिए जरूरी है कि जब बच्‍चे छोटे हों और स्‍कूल में पढ़ रहे हों, उसी समय उन्‍हें इन आनुवंशिक बीमारियों के बारे में जानकारी दें ताकि वे इन्‍हें बेहतर तरीके से समझ सकें। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की दो महिला वैज्ञानिकों चंदना बसु और गरिमा जैन ने यह बीड़ा उठाया है। इसके लिए उन्‍हें इंडिया बायोसाइंस की ओर से आउटरीच ग्रांट मिलेगी।
चंदना ओर गरिमा दोनों ‘जेनेटिक्‍स 4 यू’ नाम के प्रोजेक्‍ट पर काम कर रही हैं। ये दोनों नौवीं से लेकर 12वीं तक के बच्‍चों को जेनेटिक्‍स के मुश्किल सिद्धांत, कायदे, कानून समझाएंगी। जेनेटिक्‍स विज्ञान की वह शाखा है जिसके तहत हमारे आनुवंशिक गुण-दोष एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कैसे जाते हैं ,इसका अध्ययन होता है।
चंदना और गरिमा के प्रोजेक्‍ट की खूबी यह होगी कि रंगबिरंगे चित्रों, इन्‍फोग्राफिक, कॉमिक्‍स और कहानियों के जरिए ये मुश्किल नियम, सिद्धांत समझाए जाएंगे। इसके लिए वे नंद‍िनी चिलकम के साथ मिलकर काम करेंगे। नंदिनी चिलकम ‘लर्न विद कॉमिक्‍स’ की को-फाउंडर हैं।
ये महिला वैज्ञानिक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्‍कूलों के बच्‍चों को यह सब सिखाएंगी। कुछ प्राइवेट स्‍कूल भी उनके इस प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा होंगे। बच्‍चे इन नए तरीकों के जरिए जेनेटिक्‍स के बारे में सीखेंगे साथ ही उन्‍हें कुछ एक्‍सपेरिमेंट भी करने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं बायोलॉजी के शिक्षकों के लिए वेबसाइट पर फ्री ईबुक भी मिलेगी।

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