शुभजिता फीचर डेस्क
युवा इस दुनिया की उम्मीद हैं और भविष्य भी। सशक्त और सकारात्मक युवा सशक्त समाज और देश की जरूरत है। युवा होना सपनों का जागना है…उनको पूरा करने का प्रयास है मगर सपने इतनी आसानी से कहां पूरे हो पाते हैं। बचपन से ही विषम परिस्थितियों में जी रहे बच्चे, अपने आस – पास पुरुष की विकृत पितृसत्तात्मकता को जब देखते हैं और देखते हैं कि समाज में तो सिर्फ शक्ति का वर्चस्व है तो वही बातें उनको आदर्श लगती हैं। हम नैतिकता की जितनी भी बातें कर लें मगर हमारे आचरण में वह अगर दूर – दूर तक नहीं दिखती तो युवाओं से हम नैतिकता की उम्मीद भला कैसे कर सकते हैं। हम कब जान पाते हैं कि युवाओं के मन में क्या चल रहा होता है, उनके सपने क्या होते हैं । हमें यह पता होता है कि हम यह न कर सके, वह न कर सके मगर बतौर अभिभावक आप खुद ही सोचिए कि कब आपने बच्चों से उनको समझकर बात की, कब उनके प्रति संवेदनशील हुए, कब उनके सपनों को समझा और जब नहीं समझा तो यह उम्मीद क्योंकि आपका बच्चा आपको आपके मन की हर बात बताए। आप सही और गलत का निर्णय अपने समय को ध्यान में रखकर ले रहे हैं जबकि समय आगे निकल चुका है। हम यह नहीं कहते कि आधुनिक समय की हर बात अच्छी है मगर कुछ बातें तो अच्छी हो ही सकती हैं। सामंजस्य…सिर्फ आप नहीं बैठाते..आपके बच्चे भी बैठाते हैं। सपनों को पूरा करने में बाधक यह समाज भी है और यह खुलासा हुआ है आईकू द्वारा जारी एक रिपोर्ट में। यह रिपोर्ट तकनीक से जुड़े युवा समाज की, उसके सपनों की पड़ताल करती है और उसकी चुनौतियों पर भी बात करती है। आइए रिपोर्ट में प्राप्त तथ्यों पर डालते हैं नजर –
पश्चिम बंगाल में युवाओं को सामाजिक समर्थन पूरे देश की तुलना में औसतन बेहतर है। अगर राष्ट्रीय स्तर पर 62 प्रतिशत है तो बंगाल में 50 प्रतिशत है।
-पश्चिम बंगाल में 75 प्रतिशत युवा प्रसिद्धि और पहचान की चाहत से होते हैं प्रोत्साहित और उनको कला से प्रेम है। पश्चिम बंगाल में, परफोर्मिंग आर्ट को आगे बढ़ाने के इच्छुक लोगों की संख्या राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक है।
वीवो ग्रुप के सब-स्मार्टफोन ब्रांड आईकू ने साइबरमीडिया रिसर्च के साथ अपनी पहली द आईकू(iQOO) क्वेस्ट रिपोर्ट 2024 जारी की की है, जो आज के युवाओं के सपनों, कॅरियर और आकांक्षाओं के ट्रेट्स और ट्रेंड्स पर आधारित है। रिपोर्ट इस आशावादी पीढ़ी के सपनों और जुनून की यात्रा को सामने लेकर है, जो दुनिया भर में सबसे बड़ी पीढ़ी में से एक है। इसमें 20-24 साल की उम्र के 6,700 की प्रतिक्रियाओं के उत्तर शामिल हैं, जो भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, मलेशिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे 7 देशों से हैं। रिपोर्ट में तीन क्षेत्रों को शामिल किया गया है। जेन जी क्वेस्टर्स की भावना और अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा, उनके जुनून की खोज में आने वाली बाधाएं और रुकावटें, और उनके हितों को आगे बढ़ाने वाले कॅरियर विकल्प शामिल है।
आज के युग में, प्रसिद्धि और सफलता ने एक नया आयाम ले लिया है, जिसे अब आपकी ऑनलाइन लोकप्रियता से मापा जाता है। सोशल मीडिया और प्रभावित करने वाले संस्कृति की तेज़ गति वाली दुनिया में यह पलक झपकते ही गायब हो जाती है। जेन जी जनरेशन के लोगों को 15 मिनट की प्रसिद्धि का स्वाद चखने की लालसा होने के साथ, यह विषय भी सवाल उठाता है कि क्या यह कॅरियर केवल आकर्षक है या नैतिक भी है।
रिपोर्ट में जेन जी के लिए सफलता का क्या अर्थ है, इसके विभिन्न पहलुओं की गहराई से पड़ताल की गई है। इसमें क्वेस्टर्स की ड्राइव, जुनून और महत्वाकांक्षा को एक क्वांटिटी मीट्रिक – क्वेस्ट इंडेक्स या “क्यू आई” से समझाया गया है। परिणामों से पता चलता है कि भारत का क्वेस्ट इन्डेक्स 9.1 है, इसके बाद मलेशिया 8.7 क्यूआई , थाईलैंड और अमेरिका 8.2 क्यूआई, इंडोनेशिया 8.1 क्यूआई, यूनाइटेड किंगडम 8 क्यू आई और ब्राजील 7.8 क्यू आई के साथ आता है।
रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल से संबंधित कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
-पश्चिम बंगाल में 98 प्रतिशत युवा सोशल मीडिया स्टार बनने का सपना देखते हैं।
– पश्चिम बंगाल में 75 प्रतिशत युवा प्रसिद्धि और पहचान की इच्छा से प्रेरित होते हैं।
– पश्चिम बंगाल में 88 प्रतिशत युवाओं का अंतिम लक्ष्य एक नेटवर्थ हासिल करना है।
– पश्चिम बंगाल में जेन जी अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय औसत की तुलना में दोगुनी पहल करते हैं।
-पश्चिम बंगाल में जेन जी (Gen Z) को मिलने वाला सामाजिक समर्थन राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जबकि सामाजिक दबाव केवल 50 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय स्तर पर 62 प्रतिशत है।
पश्चिम बंगाल में परफोर्मिंग आर्ट के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों की संख्या राष्ट्रीय औसत से तीन गुनी है।
पश्चिम बंगाल में जेन जी के बीच वैज्ञानिक क्षेत्र में रुझान राष्ट्रीय औसत से 3.5 गुना अधिक है।
पश्चिम बंगाल में 87% लोग अपनी विरासत छोड़ना चाहते हैं, जबकि 81% दूसरों के लिए प्रेरणा बनना चाहते हैं।
पश्चिम बंगाल में 80 प्रतिशत लोगों ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए नौकरी या कॅरियर बदला है, जबकि 76 प्रतिशत ने आगे बढ़ने के लिए छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया है।
– पश्चिम बंगाल में 78 प्रतिशत लोगों का मानना है कि उनका व्यक्तिगत जुनून और रुचि उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा है।
– 97 प्रतिशत लोगों को लगता है कि असफलता उन्हें काफी हद तक हतोत्साहित करती है। हालांकि, 95 प्रतिशत यह भी महसूस करते हैं कि असफलता उन्हें सीखने के अवसर प्रदान करती है।
वहीं रिपोर्ट के कुछ प्रमुख ‘वैश्विक और भारतीय’ तथ्य इस प्रकार हैं:
•भारत में 43 प्रतिशत और विश्व स्तर पर 46 प्रतिशत रेस्पोंडेंट्स अपने करियर में सफल होने के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस छोड़ने को तैयार हैं।
•पुरुषों की तुलना में महिलाओं में से दोगुनी संख्या में यह महसूस होता है कि लिंग उनके सपनों को पूरा करने में बाधा डालता है।
•भारतीय जेन जेड में से केवल 9 प्रतिशत ही उद्यमिता अपनाना चाहते हैं क्योंकि वे कार्य जीवन में स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं।
•19 प्रतिशत भारतीय बड़ी कंपनियों में करियर की उन्नति को स्टार्टअप्स के बजाय पसंद करते हैं।
•चार में से एक भारतीय उत्तरदाता नए युग के जॉब क्षेत्र जैसे कंटेंट क्रिएशन, डेटा विश्लेषण, एआई और साइबर सुरक्षा की ओर अधिक इच्छुक हैं।
•भारतीय युवा मेहनती हैं, वे अपने वैश्विक साथियों की तुलना में दोगुनी पहल करते हैं।
•84 प्रतिशत भारतीय क्वेस्टर्स का मानना है कि उनकी नौकरी उनके लक्ष्यों के अनुरूप है, जबकि विश्व स्तर पर यह संख्या 72% है।
•91 प्रतिशत भारतीय उत्तरदाताओं का मानना है कि गैप ईयर उनके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद कर सकता है।
•46 प्रतिशत लोगों को अपने पसंद के करियर को आगे बढ़ाने में वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, 90% से अधिक लोगों को बाधाओं के बावजूद अपने सपने को पूरा करने का विश्वास है।
•65 प्रतिशत असफलता को एक सीखने के अवसर के रूप में देखते हैं, और 60% का मानना है कि यह उन्हें उनके सपनों की ओर धकेलता है।
•51 प्रतिशत क्वेस्टर्स ने कहा कि वे अपनी खोज का समर्थन करने के लिए उच्च शिक्षा ग्रहण करेंगे, जबकि 32 प्रतिशत का मानना है कि उन्हें अपने सपनों का समर्थन करने के लिए प्रासंगिक नौकरियां करनी चाहिए।
आईकू और साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक अध्ययन में 7 देशों – भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, मलेशिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया के 20 से 24 साल के 6700 युवाओं के विचारों को शामिल किया गया है। इस प्राथमिक शोध से पता चलता है कि 62 प्रतिशत भारतीय युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने शौक और अन्य रुचियों को छोड़ने को तैयार हैं। रिपोर्ट के सभी निष्कर्ष इस बात पर केंद्रित हैं कि कैसे आज की स्नैप सेवी जेन जी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की तीव्र इच्छा से प्रेरित है। रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए, आईकू इंडिया के सीईओ निपुण मार्या ने कहा, “आईकू में क्वेस्ट की स्पिरिट है, जो हर कम्युनिकेशन में जेन जी के साथ । सीमाओं को आगे बढ़ाने और अधिक प्रयास करने के लिए समर्पित ब्रांड के रूप में, आईकू इन मूल्यों को अपने जेन जी दर्शकों तक पहुंचाता है। सपनों का समर्थन करने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए, पिछले साल, आईकू ने कानपुर से भारत के पहले 23 साल के एक चीफ गेमिंग ऑफिसर को शामिल किया। हम युवाओं को अपने जुनून को आगे बढ़ाने के अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ब्रांड सक्रिय रूप से उन पहलों में शामिल होता है जो व्यक्तियों को अपनी क्षमता का एहसास करने में मदद करते हैं और यह रिपोर्ट उस दिशा में एक प्रयास है। इसका उद्देश्य जेन जी को कई चुनौतियों के बावजूद अपने खुद की खोज पर निकलने और अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है। रिपोर्ट के निष्कर्ष जेन जी को बेहतर ढंग से समझने में महत्वपूर्ण इनसाइट प्रदान करते हैं, जिससे हम उनकी जरूरतों को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं।”
रिपोर्ट पर अपने विचार साझा करते हुए, साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप के प्रभु राम ने कहा कि आज की जटिल और डिजिटल दुनिया में, आज के युवा अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) इन बदलते उपभोक्ता पैटर्न को समझने में अग्रणी रहा है। आईकू द्वारा कमीशन किए गए द क्वेस्ट रिपोर्ट के लिए सीएमआर के रिसर्च ने एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के युवाओं के दृष्टिकोण को खोजा है, जिससे उनके मनोदशा और उनकी खोजों में जरुरी इनसाइट मिले हैं। बड़े सपनों के साथ स्पष्टता और फोकस के उच्च स्तर और एक हसलर माइंडसेट भारत के आज के युवाओं की स्थिति को रेखांकित करते हैं। क्वेस्ट रिपोर्ट में वैश्विक मंच पर भारत की जबरदस्त क्षमता पर प्रकाश डाला गया है तथा इस उल्लेखनीय पीढ़ी को प्रेरित करने वाले आशावाद को रेखांकित किया गया है।
यह सही है कि स्मार्ट फोन, सोशल मीडिया की चकाचौंध युवाओं को आकर्षित कर रही है। निश्चित रूप से अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम सोशल मीडिया पर मिलता है मगर उस ट्रोलिंग और आभासी गालियों का क्या किया जाए। ऑनलाइन दुनिया में डूबकर दिखावे से भरी दुनिया को अंतिम सत्य मान लेने वालों को कौन बताएगा कि सत्य का ठोस धरातल कुछ अलग होता है। वहां सहानुभूति मिल सकती है मगर जीवन के कठोर धरातल पर हर किसी को अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ेगी। युवाओं को सही मार्गदर्शन की जरूरत है…उनको समझने की जरूरत है और यह काम हम सबको ही करना पड़ेगा।