प्रस्तुति – निखिता पांडेय
सफल ब्लॉगर्स, डिजिटल कंटेंट क्रिएटर, बिजनेस वुमन और फैशन डिजाइनर ममता शर्मा दास ने अपनी जिंदगी में कई मुश्किलों का सामना किया है। उनके पेरेंट्स दो अलग-अलग कम्युनिटी से थे। ऐसे में ममता को बचपन से अपने माता-पिता के संबंध में तरह-तरह की बातें सुनने को मिलती थीं। वे कहती हैं मेरा बचपन पूरी तरह संघर्ष करते हुए बीता जहां मुझे हर कदम पर समझौता करना पड़ा। यहां तक कि जब मेरे पिता मां से अलग रहने चले गए तो मां अकेली हो गईं। उन दिनों मैंने मां के दर्द को महसूस किया। हमारे देश में एक सिंगल मदर की हालत कितनी खराब होती है, ये मैं जानती हूं। ममता अपने बहन भाईयों में सबसे बड़ी थीं। इसलिए उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी संभालना जल्दी ही सीख लिया। अपनी वर्किंग मदर के साथ रहते हुए जब मां काम करने चली जाती तो ममता उससे दस साल छोटे भाई की देखभाल करती थीं। पिता के बिना भी जिनके सपोर्ट की वजह से ममता के जीवन में उजाला आया वो उनकी मां ही थीं। वे कहती है मैं अपनी मां को रोल मॉडल मानती हूं। मेरी मां एक सशक्त महिला थीं जिन्होंने अपने साहस के बल पर मेरी और मेरे भाई की परवरिश की। मां को देखकर ममता ने अपने कॅरिअर की शुरुआत स्कूल के दिनों से ही कर दी। इसकी वजह वे अपनी गरीबी को नहीं मानती बल्कि वे खुद आत्मनिर्भर बनना चाहती थीं। ममता ने इंस्टाग्राम पर अपना छोटा सा फैशन एंपायर सेट किया है। जहां उनके ऑनलाइन फॉलोअर्स की संख्या 95,000 से ज्यादा है। उनकी क्लॉदिंग लाइंस वीवा ला विला के नाम से जानी जाती है। वे अपनी प्रेरणा मैक्सिकन पेंटर फ्रिडा कोहलो को मानती हैं। फ्रिडा इस दुनिया के चले जाने के बाद भी सारी दुनिया में फेमिनिस्ट आइकन के रूप में जानी जाती हैं। ममता ने अपने डिजाइन में इंडियन बोहेमियन कल्चर को मिक्स किया है। वे कहती हैं हमारे देश में ऐसे बहुत कम डिजाइनर हैं जो प्लस साइज लोगों के लिए ड्रेस डिजाइन करते हैं। मैं उन सभी लोगों के लिए डिजाइन करना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि फैशन को हर तरह के और हर उम्र के लोग फॉलो करें। ममता ने अपनी डिजाइनिंग के जरिये इंडियन हैंडलूम और वेविंग को सारी दुनिया में बढ़ावा दिया। सोशल मीडिया के माध्यम से वे बुनकरों के काम को लोगों के सामने लाना चाहती हैं ताकि उन्हें अपनी मेहनत की पूरी कमाई मिल सके।
स्त्रोत – दैनिक भास्कर