मुंशी प्रेमचंद के 136वें जन्मदिन पर गूगल ने यूं किया याद

नई दिल्ली। भारत के मशहूर हिंदी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के 136वें जन्मदिन पर गूगल ने उन्हें खास अंदाज में याद किया। गूगल ने अपना डूडल मुंशी प्रेमचंद के नाम किया । 1880 में उत्तर प्रदेश के लमही गांव में जन्मे प्रेमचंद भारत ही नहीं विश्व के बड़े साहित्यकारों में गिने जाते हैं।

‘कलम के सिपाही’ के नाम से मशहूर प्रेमचंद ने एक दर्जन से ज्यादा उपन्यास और कई कहानियां लिखी थीं। उनकी कहानियों और रचनाओं में आम आदमी का दर्द नजर आता है। गूगल के डूडल में प्रेमचंद को गांव की कहानियों के रचयिता के रूप में दिखाया गया है। डूडल के देखकर उनकी कई कहानियां याद आ जाती हैं।

गौरतलब है कि मशहूर लेखक और साहिकत्यकार प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय था। कलम के जादूगर के नाम से मशहूर इस लेखक की हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी भाषा पर सामान्य पकड़ थी। बहुत कम लोग जानते हैं कि प्रेमचंद ने हिंदी से पहले उर्दू में लिखना शुरू किया था।

मुशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों और उपन्यासों में आमजन की पीड़ा को शब्दों के जरिये पिरोया है। यही वजह है कि उनकी हर रचना कालजयी है। मुंशी प्रेमचंद का व्यक्तित्व बड़ा ही साधारण था। उनके निधन के इतने साल बाद भी उनकी रचनाएं कफन, गबन, गोदान, ईदगाह और नमक का दरोगा हर किसी को बचपन की याद दिलाती हैं।

इनके द्वारा लिखे गए कई उपन्यासों और कहानियों पर फिल्म और धारावाहिक बन चुके हैं। अभी हाल ही में मुंशी प्रेमचंद की ईदगाह पर फिल्म का निर्माण चल रहा है।

चर्चित कहानियां

मंत्र, नशा, शतरंज के खिलाड़ी, पूस की रात, आत्माराम, बूढ़ी काकी, बड़े भाईसाहब, बड़े घर की बेटी, कफन, उधार की घड़ी, नमक का दरोगा, पंच फूल, प्रेम पूर्णिमा, जुर्माना आदि।

उपन्यास

गबन, बाजार-ए-हुस्न (उर्दू में), सेवा सदन, गोदान, कर्मभूमि, कायाकल्प, मनोरमा, निर्मला, प्रतिज्ञा, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, वरदान, प्रेमा और मंगल-सूत्र (अपूर्ण). प्रेमचंद्र ने लगभग 300 कहानियां तथा चौदह बड़े उपन्यास लिखे।

 

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