आदमी अपना भविष्य खुद तय करता है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो इस बात को समाज के सामने साबित करने का माद्दा रखते हैं, क्योंकि इसके लिए तमाम सामाजिक बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही कहानी है कि हाल ही में ‘मिस्टर गे वर्ल्ड इंडिया 2018’ का खिताब जीतने वाले समर्पण मैती की। अगर आप सोच रहे हैं कि अपने सोशल ओरिएनटेशन के चलते पैदा होने वाली चुनौतियों को पीछे छोड़ मॉडल बनने और इस खिताब को जीतने के लिए ही समर्पण की तारीफ हो रही है, तो आप गलत तो नहीं, लेकिन कम जरूर सोच रहे हैं। समर्पण सिर्फ मॉडल ही नहीं बल्कि मेडिकल साइंस के होनहार शोधार्थी भी हैं।
29 वर्षीय समर्पण, पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के सिद्धा गांव के रहने वाले हैं। आपको बता दें कि समर्पण फिलहाल कोलकाता के एक नामी संस्थान में ब्रेन कैंसर ड्र्ग्स पर रिसर्च कर रहे हैं बल्कि उनकी पीएचडी थीसिस लगभग तैयार हो चुकी है। उन्हें डिग्री मिलना अभी बाकी है। इतना ही नहीं, समर्पण यूएस की एक यूनिवर्सिटी में पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च के लिए इंटरव्यू का पहला इंटरव्यू राउंड भी पार कर चुके हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक इतना बड़ा स्कॉलर और मॉडल अभी भी ठीक से अंग्रेजी बोलने में सहज नहीं है। मई में साउथ अफ्रीका में होने वाली मिस्टर गे वर्ल्ड 2018 प्रतियोगिता में समर्पण भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
समर्पण ने अपने पुराने वक्त को याद करते हुए बताया कि वह जब 10वीं कक्षा में थे, तब उनके पिता जी सुदर्शन मैती, टीवी घर ले आए। टीवी के माध्यम से समर्पण को अपने बारे में दो सच्चाइयों का पता चला। एक तो यह कि फैशन की दुनिया के लिए उनके अंदर काफी रुचि है और दूसरा यह कि लड़कियों से ज्यादा उन्हें लड़कों में दिलचस्पी है। समर्पण मानते हैं कि यह खुद की खोज का समय था। समर्पण ने पूर्व में लड़कियों से रहे अपने शारीरिक संबंधों का जिक्र करते हुए बताया कि लड़कियों की अपेक्षा वह लड़कों के साथ अधिक सहज महसूस करते हैं। हमारे समाज में आमतौर पर देखा जाता है कि मां-बाप बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते हैं, लेकिन बच्चा किसी और क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहता है। हालांकि, समर्पण के परिवार की कहानी मां-बाप और बच्चों के बीच वैचारिक मतभेद की अवधारणा पर ही चल रही थी, लेकिन जरा हट के। ऐसा इसलिए क्योंकि समर्पण के मां-बाप चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर या इंजीनियर न बने, बल्कि वह लेखक या पत्रकार बने, लेकिन समर्पण को साइंस में रुचि थी। हालांकि, समर्पण पत्रकार तो नहीं बने, लेकिन उनके दो रिसर्च पेपर अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित जरूर हो चुके हैं। समर्पण आईआईटी और आईआईएससी (बेंगलुरु) की प्रवेश परीक्षाएं भी पास कर चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने सिर्फ मजे के लिए दो बार नेट (NET) की परीक्षा भी दी है।
जैसा कि समर्पण ने बताया कि टीवी के जरिए वह फैशन की दुनिया से रूबरू हुए। छोटी उम्र से ही उनके अंदर मॉडलिंग का शौक पनपने लगा था। शुरूआत में जब समर्पण ने मॉडलिंग के बारे में सोचा, तब पहली बाधा थी उनकी लंबाई की। समर्पण की लंबाई थी 5.6 फीट और मॉडलिंग के लिए कम के कम आपकी लंबाई 5.7 फीट होनी चाहिए। 2015 में समर्पण ने वर्कआउट शुरू किया। आगे उनकी उपलब्धियों की दास्तान सभी जानते हैं। समर्पण आज भी रोज सुबह डेढ़ घंटे तक वर्कआउट करते हैं।
पिता की मौत के बाद उनके परिवार की आर्थिक हालत बिगड़ गई, लेकिन जीवन के हर मोड़ पर समर्पण को उनकी मां का भरपूर साथ मिला। समर्पण की मां अपने बेटे की उपलब्धियों से खुश हैं और उन्हें बेटे के गे होने पर भी आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता जरूर सताती है कि समाज उनके बेटे के प्रति कैसा रवैया रखेगा। समर्पण सिर्फ शोहरत के लिए मिस्टर गे वर्ल्ड का खिताब नहीं जीतना चाहते हैं, बल्कि वह अपनी उपलब्धियों के माध्यम से लैंगिक समानता को बढ़ावा देना चाहते हैं।