बूढ़ी सेक्सवर्करों के लिए मसीहा बनने वाली कार्मेन मुनोज़

मेक्सिको सिटी की सड़कों पर सालों काम करने के बाद कार्मेन मुनोज़ ने सोचा कि उनके जैसी महिलाएं जब बूढ़ी हो जाती हैं तो उनके साथ क्या बीतती है। तब उन्होंने एक रिटायरमेंट होम खोलने के लिए अभियान की शुरूआत की।

कार्मेन ने मेक्सिको सिटी में 16 शताब्दी के ऐतिहासिक प्लाज़ा लोरेटो के पास यौनकर्मी के रूप में अपने काम की शुरुआत की थी। वो रोज़गार की तलाथ में यहां आई थीं और उन्हें बताया गया था कि सैंटा टेरीज़ा ले नुवा गिरिजाघर के पादरी कभी-कभी घरेलू काम ढ़ूढ़ने में लोगों की मदद करते हैं.

22 साल की कार्मेन अनपढ़ थीं और उनके 7 बच्चे थे- एक तो उनकी गोद में था। चार दिन के इंतज़ार के बाद वो पादरी से मिली पाईं, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिला।

ऐसे में एक महिला कार्मेन के पास आई और उसने बताया कि अगर तुम थोड़ी दूर खड़े उस आदमी के साथ जाओगी तो वो तुम्हें 1000 पेसो देगा। हालांकि आज के एक्सचेंज मूल्य के हिसाब से देखें को तो वो कोई बड़ी रकम नहीं थी, लेकिन उस वक्त कार्मेन के लिए यह ख़ज़ाने से कम न था।

कार्मेन के पूछने पर महिला ने कहा करि उन्हें उस आदमी के साथ एक कमरे में जाना है और काम करना है. कार्मेन यह सुन कर डर गई और उन्होंने इससे इंकार किया। महिला ने कार्मेन को समझाया, “जब आप अपने पति को यौन सुख दे सकती हैं और आपको उसके बदले साबुन का एक टुकड़ा तक नहीं मिलता तो उस आदमी को यौन सुख क्यों नहीं दे सकतीं जिससे आपके बचों को खाना मिलेगा?”

कार्मेन ख़ुद को असहाय महसूस कर रही थीं, लेकिन वो उस आदमी के पास गईं। उस आदमी ने शायद कार्मेक की मजबूरी समझ ली थी। उसने 1000 पेसो उनके हाथ में रख दिए और कहा कि वो उनका फ़ायदा नहीं उठाना चाहते और उन्हें पैसे के बदले कुछ नहीं चाहिए।

अगले दिन कार्मेन प्लाज़ा लौरॉटो में उसी जगह पर पहुंची, लेकिन इस बार वो सोच रही थीं कि अब उनके बच्चे भूखे नहीं सोएंगे। प्लाज़ा लोरेटो और पास की गलियों में कार्मेन ने 40 सालों तक काम किया।

इस इलाके को मेरसेड कहा जाता है और यह देश के सात बड़े रेड लाइट इलाकों में से एक है। कार्मेन के अनुसार जब उन्होंने इस काम में क़दम रखा था उन्हें पैसा चाहिए था। उन्हें पता था कि जहां उनके बच्चों के पिता ने उन्हें बदसूरत और किसी काम का नहीं कहते हुए ठुकरा दिया था, वहीं उन्हें किसी के साथ रहने के लिए पैसे मिल रहे थे।

लेकिन सड़कों पर इस तरह के काम की भी अपनी मुसीबतें थीं- अधिकारी और दलाल पैसा मांगते थे। मारपीट, यौन उत्पीड़न आम बात थी. उन्हें ड्रग्स और शराब की लत भी लग गई लेकिन इस सबके बावजूद वो ईश्वर का धन्यवाद करती हैं।

वो कहती हैं, “यौनकर्मी बन कर मैं अपने बच्चों को पाल पाई, उन्हें सर ढकने के लिए, सम्मान से रहने के लिए एक छत दे सकी. “कई सालों बाद कार्मेन दूसरों के लिए भी घर बनाने में कामयाब हुईं।

एक रात जब वो सड़क से गुज़र रही थीं उन्होंने एक तारपोलीन देखी, उन्हें लगा इसमें बच्चे होंगे. उन्होंने तारपोलीन उठाई तो देखा उसके साथ काम करने वाली यौनकर्मियां जो अब बूढ़ी हो चुकी हैं एक दूसरे को पकड़ कर बैठी हुई हैं।

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कार्मेन उनके लिए कॉफी लाई और उनके रहने के लिए एक सस्ता होटल ढूंढा।

कार्मेन को अहसास हुआ कि जब एक यौनकर्मी बूढ़ी हो जाती है और उसका यौवन ढल जाता है, सड़कों पर गुज़ारा करना बेहद मुश्किल हो जाता है। वो अपने परिवारों में वापस नहीं जा सकतीं और सड़कों पर रहने के लिए मजबूर होती हैं। कार्मेन उनके लिए कुछ करना चाहती थीं.

अगले 13 सालों तक वो बूढ़ी, लाचार महिलाओं और यौनकर्मियों के लिए रिटायरमेंट होम के लिए शहर के अधिकारियों से बात करती रहीं। कई कलाकारों, साथ में काम करने वाली यौनकर्मियों और मेरसेड में रहने वालों की मदद से वो सफल हुईं।

शहर के अधिकारियों ने पाल्ज़ा लोरेटो के पास 18 शताब्दी में बनी एक इमारत उन्हें दे दी. अब उनके और उनके जैसी कई महिलाओं के पास अपना एक घर था। उन्होंने मिल कर इसकी सफाई की और महिला की सुंदरता और यौन शक्ति की देवी के नाम पर इसका नाम दिया कासा जोशेक्वेत्ज़ल।

यहां अभी 25 महिलाएं रह रही हैं जिनकी उम्र 55 से 80 साल की बीच है। इनमें से कई अभी भी यौनकर्मी के रूप में काम कर रही हैं। बीते 11 सालों में यहां पर 250 से भी अधिक महिलाओं ने आसरा पाया है.

कासा जोशेक्वेत्ज़ल सरकारी मदद के आसरे चल रहा है जो कि काफी कम है। कुछ लोगों के दान से भी रिटायरमेंट होम का खर्चा चलाने में मदद मिलती है.

इसे चलाने की अपनी समस्याएं भी हैं। सबसे बड़ी समस्या है कि सभी महिलाएं साथ मिल कर नहीं रह पातीं। वो आज एक साथ हैं, लेकिन कभी सड़कों पर वो एक दूसरे की प्रतिद्वंदी थीं।

कार्मेन बताती हैं कि हमने मारपीट सहा है, उत्पीड़न सहा है, हमें अलग किया गया है, हम हमेशा आक्रामक हो जाती हैं और ज़रूरत पड़ने पर हमला करने को तैयार रहती हैं।

यहां रहने वाली मार्बेला एगुइलर कहती हैं, “लेकिन अलग विचार तो परिवार में भी होते हैं, हम यहां एक-दूसरे की इज़्ज़त करना सीखते हैं. हम अपने घर में खुशी लाने की कोशिश करते हैं।”

क्रेमेन कहती हैं, “हमें हक है कि हम अपनी ज़िंदगी के आख़िरी दिन शांति से गुज़ारें और इस भरोसे के साथ गुज़रें कि हमें मरने के लिए सड़क पर नहीं छोड़ दिया जाएगा।”

कार्मेन कहती हैं कि वो भी एक दिन इस रिटायरमेंट होम में रहने के लिए आएंगी।

(साभार – बीबीसी हिन्दी)

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