नयी दिल्ली : सरकार का बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है। औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) में सचिव रमेश अभिषेक ने कहा, ‘‘आपको मौजूदा बहु-ब्रांड खुदरा नीति के बारे में पता है। इसमें बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है।’’
उनसे यह पूछा गया था कि क्या सरकार बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने पर विचार कर रही है। इस क्षेत्र को राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता है। मौजूदा एफडीआई नीति विदेशी कंपनियों को भारतीय बहु-ब्रांड खुदरा कंपनी में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति देती है। भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा पत्र में खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश का विरोध किया था।
अब तक केवल एक विदेशी कंपनी टेस्को को बहु-ब्रांड खुदरा नीति के तहत दुकानें खोलने की अनुमति मिली है। पूर्व संप्रग सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उद्योग मंडल सीआईआई ने अपनी ताजा रिपोर्ट में सरकार को बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में 100 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी देने का सुझाव दिया है। खुदरा कारोबार के शीर्ष संगठन कैट ने इस सुझाव का पुरजोर विरोध किया।
अभिषेक ने उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि 650 अरब डॉलर का खुदरा क्षेत्र तेजी से वृद्धि कर रहा है और इसमें कंपनियों के लिये काफी संभावना है। उन्होंने कहा, ‘‘संगठित खुदरा क्षेत्र का आकार केवल 10 प्रतिशत (650 अरब डॉलर में) है। वहीं ई-वाणिज्य कंपनियों की हिस्सेदारी केवल तीन प्रतिशत है। मुझे लगता है कि ई-वाणिज्य और संगठित खुदरा क्षेत्र में वृद्धि के लिये शानदार गुंजाइश है।’’ अभिषेक ने कहा कि मध्यम वर्ग की बढ़ती संख्या तथा आय बढ़ने के साथ खुदरा क्षेत्र में बड़ी क्रांति आनी तय है। सचिव ने उद्योग से इस प्रकार के नीतिगत बदलाव का सुझाव देते हुए इसके पीछे ठोस कारण और उसका विस्तृत विश्लेषण बताने को कहा। कंपनी कर घटाने के मुद्दे पर अभिषेक ने कहा कि उनका विभाग भी कर दर में कटौती का समर्थन करता है और हमें निश्चित रूप से भरोसा है कि कर दरों के लिये और प्रतिस्पर्धी माहौल बनाया जाएगा।