कोलकाता : भारतेंदु जयंती के उपलक्ष्य में बंगीय हिंदी परिषद में 15 सितंबर को नवजागरण दिवस मनाया गया।इस अवसर पर एक परिसंवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसकी अध्यक्षता वर्द्धमान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शशि शर्मा ने की। वक्ताओं का स्वागत परिषद के मंत्री डॉ. राजेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने किया। मुख्य वक्ता शंभु कुमार यादव और प्रियंका सिंह ने भारतेंदु के नायकत्व पर प्रश्न खड़ा किया और परम्परा के पुनर्मूल्यांकन की बात कही। शम्भू यादव ने नवजागरण के संदर्भ में दलितों और आदिवासियों के आंदोलनों का जिक्र न होने का प्रश्न उठाया तो प्रियंका सिंह ने स्त्रियों के प्रश्नों के सन्दर्भों में भारतेंदुकालीन नवजागरण को देखने की कोशिश की। रितेश पांडेय ने कहा कि भारतेंदु और नवजागरण पर बात करते समय हमें केवल रामविलास जी की अवधारण ही सामने नहीं रखनी चाहिए बल्कि साथ साथ नामवर जी समेत अन्य आलोचकों के विचारों को भी देखना चाहिए, तभी एक समग्र मूल्यांकन संभव हो सकेगा। वक्ता भानु पांडेय ने जहाँ भारतेंदु को आज के समय से जोड़कर देखा वहीं वक्ता निखिता पांडेय ने भारतेन्दु के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया और वक्ता पूजा मिश्रा ने भारतेंदु के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन अनूप यादव ने किया। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए परिषद के सह सचिव डॉ. रणजीत कुमार ने कहा कि एक 18 साल के युवक(भारतेंदु) ने हिंदी साहित्य और समाज के लिए जिस चिंतन परंपरा की नींव रखी उसके लिए उसे नायक ही कहा जा सकता है खलनायक नहीं। ज्ञातव्य है कि भारतेंदु जयंती को नवजागरण दिवस के रूप में मनाने की परंपरा की शुरुआत बंगीय हिंदी परिषद ने ही की थी। परिसंवाद गोष्ठी में शहर के कई साहित्यकार, बुद्धिजीवी, शिक्षक और छात्र उपस्थित थे।