प्रश्न. ऑनलाइन एग्जाम के मार्क्स के ऊपर सभी यूनिवर्सिटी वालो ने एडमिशन दिया क्यों? क्या ये उचित था क्या इस पर कोई प्रश्न नहीं उठना चाहिए? – राधा ठाकुर
उ. बिल्कुल उठना चाहिए। सभी विश्वविद्यालयों को प्रवेश परीक्षा लेनी चाहिए। मैंने खुद इस सवाल को फेसबुक पर उठाया था। ऑनलाइन परीक्षण पद्धति में बहुत घालमेल हुआ है, दोनों ओर से। विद्यार्थियों ने भी बहुत छूट ली है और अध्यापकों ने भी अतिरिक्त रूप से सदाशयता दिखाई है। जिन लोगों ने ईमानदारी दिखाई उन्हें कहीं प्रवेश नहीं मिला। उनकी कोई गलती नहीं है लेकिन खामियाजा तो भुगतना पड़ा। हालांकि यह स्थिति हर जगह नहीं है लेकिन जहां भी ऐसा हुआ है, गलत हुआ है। इसका विरोध होना चाहिए।
प्र.स्त्रियों की पढ़ाई की सीमा क्यों बंधी जाती है क्यों आधे पर रोक दिया जाता है क्या स्त्रियों की पढ़ाई का कोई महत्व नहीं या उसका पढ़ना जरूरी नहीं है? – राधा ठाकुर
उ. स्त्रियों का पढ़ना तो सबसे जरूरी है। जहां तक बीच में रोक देने की बात है तो अब स्थितियां कमोबेश बदल रही हैं। लड़कियां भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और नये कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं।
प्र. जो लड़कियाँ आगे बढ़ने की राह में लगातार अपने ही घर से अड़चनों का सामना कर रही हैं, वह क्या करें? खासकर तब जब उनको घर से अकेले निकलने तक नहीं दिया जाये?
(नाम और पहचान गोपनीय)
उ. लड़कियों को स्थितियों का विरोध करना चाहिए। अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए छोटा मोटा काम करने से भी परहेज नहीं करना चाहिए क्योंकि पढ़ाई बंद होने का सबसे बड़ा कारण आर्थिक होता है। कुछेक अपवादों को छोड़ दें तो लड़कियों के लिए हमेशा से ही आगे बढ़ने की राहें आसान नहीं रही हैं। इस स्थिति में सबसे बड़ी जरूरत है, हौसला बनाए रखने की। उन तमाम लड़कियों से जो अपनी-अपनी जगह पर संघर्षरत हैं, से मेरा एक ही संदेश है कि वे हिम्मत न हारें। कोशिश जारी रखें। प्रतिकूल स्थितियों भी अपनी हिम्मत बनाए रखकर ही वे नया इतिहास लिख सकती हैं।
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