कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा परिषद सभागार में आयोजित साहित्यिक समारोह में पंत की 125वीं जयंती की शुरुआत हुई। वक्ताओं ने यह आशा व्यक्त की कि आगे एक वर्ष तक देश भर में छायावाद के संदर्भ में पंत की महत्ता तथा पंत के संदर्भ में छायावाद की महत्ता पर चर्चा होती रहेगी। पंत पर चर्चा आरंभ करते हुए प्रो. इतु सिंह ने कहा कि पंत ने अध्यात्म को सामाजिक उपयोगिता की दृष्टि से देखा है। उन्होंने गाँधी, मार्क्स और श्री अरविंद को जोड़ने का काम किया। प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि सुमित्रानंदन पंत के काव्य विकास के कई चरण हैं- छायावादी चरण, प्रगतिवादी चरण और अरविन्द के असर में अध्यात्मवादी चरण। पंत और छायावाद पर विचार करते हुए इनके देशज स्रोतों को खंगालना अधिक उचित होगा।
डॉ. गीता दूबे ने कहा कि आज प्रकृति के विनाश के दौर में पंत की रचनाओं का विशेष महत्व है। वह हमें प्रकृति से प्रेम करने की प्रेरणा देते हैं। वाराणसी के शोधार्थी श्री महेश कुमार ने कहा कि पंत का गद्य सशक्त है। श्री मृत्युंजय श्रीवास्तव ने बताया कि पंत को अन्य छायावादी कवियों के समान महत्व देना चाहिए। उन्होंने स्त्री पर हो रहे अत्याचारों का अधिक स्पष्टता से विरोध किया। अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए डा. शंभुनाथ ने कहा कि पंत ने मानव के नूतन मन की बात करते हुए ‘द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र’ का आह्वान किया। वे विश्वप्रेम और परिवर्तन के कवि हैं। एकता हेला, कल्याणी वि. वि., लिली शाह, कलकत्ता वि. वि., शिवप्रकाश दास, वर्द्धमान वि. वि., प्रियंका परमार, प्रेसीडेंसी वि. वि., सुषमा कुमारी, विद्यासागर वि. वि., अनुपमा, विश्वभारती वि. वि. और अमित कु. साव, काजी नजरुल वि. वि. ने शोध पत्र वाचन किया। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. मंजुरानी सिंह ने कहा कि पंत को केवल प्रकृति के सुकुमार कवि तक सीमित न रखकर उनका व्यापक मूल्यांकन करने की जरूरत है। आज यह आयोजन इस दृष्टि से निश्चित रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस अवसर पर डॉ. शंभुनाथ जी के काव्य संग्रह ‘ईश्वर का दुख’ से चयनित कविताओं पर मंजु श्रीवास्तव, डॉ. इतु सिंह, डॉ. शिप्रा मिश्रा, प्रणति ठाकुर, नमिता जैन, अमरजीत पण्डित, मनीषा गुप्ता, प्रिया श्रीवास्तव, सिपाली गुप्ता, राजेश साव, पंकज सिंह और पूजा गुप्ता दल, इबरार खान, कामना दीक्षित, मधु सिंह, तृषान्निता बनिक, सूर्य देव रॉय, प्रभात पाण्डेय, सपना खरवार, अदिति दूबे, अंजली यादव और ज्योति गोंड दल तथा सुषमा कुमारी, आदित्य तिवारी, प्रज्ञा झा, आशुतोष कुमार राउत, मधु साव, चंदन भगत, प्रगति दुबे, संजना जायसवाल, कंचन भगत, कुसुम भगत और इशरत जहां दल ने कोलाज प्रस्तुत किया।इस अवसर पर वरिष्ठ कवि राज्यवर्धन, मंजु श्रीवास्तव, सुनील कुमार शर्मा, यतीश कुमार, संजय जायसवाल और आनंद गुप्ता ने काव्य पाठ किया । सुरेश शॉ, पूजा गोंड, काजल रविदास ने शंभुनाथ जी की कविताओं पर काव्य आवृत्ति किया। इसके अलावा ‘मतदान हमारा अधिकार है’ नुक्कड़ नाटक का मंचन हुआ। इसमें रमाशंकर सिंह, विशाल कुमार साव, राजेश सिंह, सुशील सिंह, प्रभाकर साव ने हिस्सा लिया। इस आयोजन को सफल बनाने में सुमिता गुप्ता, राहुल गौंड़, ज्योति चौरसिया, अनुराधा भगत, स्वीटी महतो, सुजाता महतो, पूजा सिंह, विनोद यादव, अनिल शाह, विकास साव, संजय यादव, असित पाण्डेय, संजय दास और सौरभ भगत की सराहनीय भूमिका रही। इस अवसर पर रामनिवास द्विवेदी, सुनंदा रॉय चौधरी, अल्पना नायक, महेश जायसवाल, प्रभात मिश्रा, मनोज मिश्रा, मंटू दास, रेशमी पांडा मुखर्जी सहित सैकड़ों साहित्यप्रेमी मौजूद थे। कार्यक्रम का सफल संचालन आदित्य गिरि, इबरार खान, मधु सिंह, सूर्य देव रॉय और रूपेश कुमार यादव ने किया। विमला पोद्दार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।