बूंदी : राजस्थान में पहले जहां पंचों ने एक पांच साल की बच्ची को घर से बेघर करने का फरमान सुनाया। अब फिर बूंदी में ही खाफ पंचायत का खौफ सामने आया है। जहां पंचों ने बेटियों को अपने पिता के अंतिम संस्कार करने से रोका। जिसके विरुद्ध जाकर बेटियां ने अपने पिता की अंतिम इच्छा को पूरी करते हुए मुखाग्नि दी।चार बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और रोटरी मुक्तिधाम पहुंच कर विधिविधान से पिता को मुखाग्नि दी। बड़ी बेटी मीना, कलावती, जया, ज्योति ने पंचों की एक भी नहीं चलने दी। और अब वह पूरे 12 दिनों तक हिन्दू रीति-रिवाज की सभी परम्परा निभाएंगी।
मृतक पिता का नहीं था कोई बेटा, तो चारों बेटियां आगे आई
जानकारी के अनुसार बाहरली बूंदी निवासी दुर्गाशंकर रेगर शराब व्यवसाय से जुड़े थे। जो साल 2012 में बीमारी के चलते लकवा से पीड़ित थे। पिछले पांच साल से वह जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे थे। अचानक शनिवार देर रात दुर्गा शंकर की तबीयत बिगड़ गई और घर पर ही मौत हो गई। दुर्गाशंकर रैगर के कोई बेटा नहीं था। उनके चार पुत्रियां ही थी। जो वह चारों बेटियों को बेटे के समान मानते थे और आखिर इच्छा उनकी यही थी की पुत्रिया उनको अंतिम विदाई दे। जैसे ही पिता दुर्गाशंकर रैगर की मौत की खबर सुनीं तो चारों बेटियों कोटा से बूंदी पहुंची और पिता की इच्छा पूरी करने की तैयारी शुरू की।
पंचों ने बेटियों को अंतिम संस्कार करने से रोका
जब इन सब की खबर पंचों को लगी तो उन्होंने ने पंचायत को बुलाया और रैगर पंचायत पंच पटेल बैठे और उन्हें अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। साथ ही अगर वह फैसले के खिलाफ गए तो चारों पुत्री एंव परिवार के लोगो को अंतिम संस्कार करने से पहले पंचों के पौरों में पड़कर माफी मांगनी होगी। अगर वह ऐसा नहीं करते है तो उन्हें समाज के खिलाफ मना जाएगा और जो भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए उन्हें भी माफी मांगनी पड़ेगी।
बेटियों ने की पिता की आखिरी इच्छा पूरी
विवाद बढ़ा तो बेटियों ने जिद्द पकड़ ली की वह पिता को अंतिम विदाई देकर ही रहेगी और ऐसी परम्पराओं को खत्म करके रहेगी। आखिर में वह पिता को कंधा देते हुए घर से तीन किलोमीटर दूर पिता को रिश्तेदारों और परिवार के साथ कंधा देते हुए मुक्तिधाम लेकर पहुंची जहां पिता को पंच तत्वों में विलीन किया। इस दौरान बड़ी बेटी मीना रेगर और कलावती रैगर ने बताया की पिता की हमने आखिरी इच्छा पूरी की समाज कुछ भी कहे हमने पिता का अंतिम संस्कार किया। जीकर 4 बेटियों ने पंच पटेलों को मुँह तोड़ जवाब दिया और उनके खिलाफ खड़ी होकर पिता को मुखाग्नि दी।