कला को अमूल्य मानते हैं, इसलिए आज तक एक भी कलाकृति नहीं बेची
नारियल के बेकार छिलकों से इतनी सुंदर और दिल लुभाने वाली वस्तुएं भी बन सकती हैं, जिन्हें देख हैरान रह जाएंगे। महाराष्ट्र के 59 वर्षीय विजयानंद शेम्बेकर पर आर्टिफेक्ट्स बनाने का जुनून सवार है। अलीबाग में इनकी आर्ट गैलरी का नाम ‘आशीर्वाद कलादलन’ है, वहां एक से बढ़कर एक आर्ट के डिजाइन सजाकर रखे हुए हैं। शुरुआत में 12 साल पहले इस कला के प्रति इनके जुनून को देखकर परिवार वालों ने इन्हें पागल करार दे दिया था, क्योंकि ये यहां-वहां कचरे में पड़े नारियल खोल उठाकर घर ले आते थे। बाद में परिवार वालों को इनके आर्ट की कद्र तब हुई जब दुनिया वाले विजयानंद की तारीफ करने लगे।
इनकी आर्ट गैलरी में नारियल से बने ट्रैक्टर, कार, ऑटो रिक्शा, साइकिल, बाइक, गणेश और कृष्ण की मूर्तियां भी दिखेंगी। घर की सजावट के लिए लैंप, दीवार पर लटकाए जाने वाले क्रॉफ्ट भी शामिल हैं। इसके लिए वे क्षतिग्रस्त नारियल, छाल, पत्तियों और तने का उपयोग करते हैं। वे अपने क्राफ्ट्स बेचते नहीं हैं, क्योंकि ये उनके लिए अमूल्य हैं। वे कहते हैं कि मेरे पास नौकरी है जो सभी जरूरतें पूरा कर देती है। वे छात्र-छात्राओं, इच्छुक लोगों को यह आर्ट सिखाने को तत्पर रहते हैं।
विजयानंद दिन में एक फर्टिलाइजर कंपनी में काम करते हैं और रात में अपने आर्ट को समर्पित हो जाते हैं। उन्होंने लगभग 400 कलाकृतियां बनाने का दावा किया है। अलीबाग एवं कोंकण क्षेत्र में हजारों नारियल पेड़ हैं। डंप यार्ड में उन्हें नारियल के छिलके मिल जाते हैं।
(साभार – दैनिक भास्कर)