कैबिनेट ने नई एविएशन पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। हाल ही में पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला किया गया है । नई पॉलिसी के तहत अब 1 घंटे के सफर के लिए 2500 रुपये का किराया देना होगा, जबकि 30 मिनट के लिए 1200 रुपये देने होंगे. नई पॉलिसी में यात्रियों के हितों का ध्यान रखा गया है।
नई नीति के लागू होने के बाद अब यात्रियों को घरेलू टिकट कैंसिल कराने पर रिफंड पंद्रह दिनों के अंदर मिल जाएगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकट कैंसिल करवाने पर 30 दिन के अंदर रिफंड मिलेगा। अगर कोई यात्री अपना टिकट कैंसिल करवाता है तो कैंसिलेशन चार्ज के तौर पर 200 रुपए से ज्यादा वसूला नहीं जा सकता।
अब विमानन कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 20 विमानों की जरूरत होगी लेकिन अंतरराष्ट्रीय सेवा शुरू करने के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। विमान में ओवर बुकिंग होने पर अगर यात्री को सवार नहीं होने दिया जाता है तो उसकी मुआवजा राशि बढ़ाकर 20 हजार रुपए कर दी गई है।
उड़ान के वक्त से 24 घंटे के अंदर फ्लाइट कैंसिल होती है तो मुआवजे की राशि 10 हजार रुपये तक होगी. प्रोमो और स्पेशल फेयर्स समेत सभी पर रिफंड्स लागू होंगे। 15 किलो के सामान के बाद 5 किलो तक के लिए 100 रुपये प्रति किलो से ज्यादा चार्ज नहीं किए जाएंगे.
यात्रियों की संख्या बढ़ाने पर जोर
नई पॉलिसी का मकसद ऐसी उड्डयन अवसंरचना तैयार करना है, जो 2022 तक 30 करोड़ घरेलू यात्रियों को, 2027 तक 50 करोड़ घरेलू यात्रियों को और 2027 तक ही 20 करोड़ अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को सेवा देने में सक्षम हो। वित्त वर्ष 2014-15 में देश के घरेलू विमान यात्रियों की संख्या 13.932 करोड़ और अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की संख्या पांच करोड़ से अधिक थी.
यात्रियों की बल्ले-बल्ले
यह पॉलिसी अगले महीने 1 जुलाई से ही लागू हो जाएगी। नई सिविल एविएशन पॉलिसी पर सरकार को इतना भरोसा है कि नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपतिराजू ने दावा किया कि अगले पांच साल में देश में हवाई यात्रा करने वालों की संख्या सलाना 8 करोड से बढ़कर 30 करोड़ को पार कर जाएगी। नई सिविल एविएशन पॉलिसी में दो बातों पर जोर है. पहला हवाई यात्रा को देश के हर हिस्से में दूर-दराज के छोटे शहरों तक ले जाना और हवाई जहाज के टिकट की कीमत बेहद कम करना जिससे साधारण आदमी भी बेधड़क हवाई यात्रा कर सके.
350 हवाई पट्टियों की पहचान
छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने के लिए सरकार ने देश में करीब 350 ऐसे हवाई अड्डों और हवाई पट्टियों की पहचान की है, जो वहां हवाई जहाज नहीं जाने की वजह से खाली पड़े हैं। पचास से सौ करोड़ रुपये, हर बेकार पड़े. हवाई अड्डे पर खर्च करके जल्द ही उन्हें उड़ान भरने के लायक बनाया जाएगा. जो राज्य सरकारें अपने यहां बेकार पडे हवाई अड्डों या हवाई पट्टियों को उड़ान भरने के लायक बनाने की पहल करेगीं, केन्द्र सरकरा उन्हें सबसे पहले हवाई यात्रा शुरू करने के लिए चुनेगा।