Tuesday, July 1, 2025
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देश में बेटियों को गोद लेने वाले बढ़े मगर वजह सोचने वाली भी है

नयी दिल्ली । देश में पिछले कुछ सालों में बच्चा गोद लेने के ट्रेंड में बदलाव देखने को मिल रहा है। अप्रैल 2021 और मार्च 2022 के बीच देश में गोद लिए गए 2,991 बच्चों में से 1,698 लड़कियां थीं। सेंट्रल एडॉप्टेशन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट पर अपलोड किए गए डेटा से इसकी पुष्टि होती है। सीएआरए के 2013-14 के आंकड़ों पर करीब से नज़र डालने से पुष्टि होती है कि भारत में लड़कों की तुलना में लड़कियों को गोद लेने के की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। वेबसाइट के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि कपल स्वेच्छा से लड़कों की तुलना में लड़कियों को अधिक गोद ले रहे हैं। यह इस फैक्ट को दर्शाता है कि देश में लड़कियों को लेकर देश की मानसिकता में बदलाव आ रहा है। इसके बावजूद एक फैक्ट यह भी है कि गोद लेने वालों में लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक उपलब्ध है। ऐसा जन्म के बाद लड़कियों को अधिक छोड़े जाना भी वजह है। इसके अलावा गोद के लिए उपलब्ध बच्चों की तुलना में गोद लेने वाले लोगों की संख्या अधिक है। इस लिहाज से यह अच्छी खबर नहीं है।
जन्म के बाद लड़कियों अधिक छोड़ रहे लोग
हालांकि, यह इस तथ्य को भी ध्यान में लाता है कि लड़कों की तुलना में जन्म के बाद लोग अधिक संख्या में लड़कियां को छोड़ दे रहे हैं। शायद यह भी एक वजह है कि गोद लेने वालों बच्चों की संख्या में लड़कियां अधिक उपलब्ध होती और गोद भी ली जाती हैं। हालांकि, पिछले 8 से 10 साल में लड़कियों को अधिक गोद लेना लोगों के बदलते माइंडसेट का नतीजा है। समय के साथ यह मजबूत भी होता जा रहा है। CARA के पास उपलब्ध डेटा इस फैक्ट की ओर भी ध्यान आकर्षित करता है कि गोद लेने के पूल में उपलब्ध बच्चों की संख्या हजारों उत्सुक भावी दत्तक माता-पिता (पीएपीएस) की मांग से कम है। यह भी एक वजह हो सकती है कि गोद लेने वाले भावी माता-पिता बच्चों के जेंडर को लेकर ज्यादा जोर नहीं दे रहे हों।
लड़कों की मांग अधिक नहीं
टाइम्स ऑफ इंडिया को विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि बच्चा गोद लेने वाले आवेदक भावी माता-पिता पसंद के कॉलम एक महत्वपूर्ण प्रतिशत बताता है कि वे लड़की या लड़का को गोद लेने के इच्छुक हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि जो लोग किसी लड़की या लड़के को वरीयता देते हैं, उनमें लड़कियों की तुलना में लड़कों की अधिक मांग नहीं दिखती। सूत्रों ने कहा कि यह ट्रेंड पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुआ है। इसे बेटे की पसंद की मानसिकता का मुकाबला करने के लिए एक पॉजिटिव इंडिकेटर के रूप में देखा जाता है।
गोद लेने के लिए सिर्फ 2211 बच्चे ही उपलब्ध
इस बीच, यह फैक्ट है कि 2021-22 में केवल 2,991 बच्चे गोद लिए गए थे। यह इस बात की पुष्टि करता है कि गोद लेने वाले पूल में उपलब्ध बच्चों की संख्या कम है। सूत्रों ने कहा कि महामारी की वजह से गोद लेने की प्रक्रियाओं धीमी हुई है। हालांकि, गोद लिए जाने वाले बच्चों की संख्या बदलती रहतीहैं। इसकी वजह है कि बच्चे पूल में आते रहते हैं और गोद लिए जाते हैं। टीओआई के पास मौजूद लेटेस्ट डेटा से पता चलता है कि विशेष गोद लेने वाली एजेंसियों में 6,800 से अधिक बच्चे दर्ज हैं। इस सप्ताह तक उन्हें गोद लेने के लिए स्वतंत्र घोषित करने की नियत प्रक्रिया पूरी होने के बाद कारा के पास लगभग 2,211 बच्चे गोद लेने के लिए उपलब्ध हैं।

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