नयी दिल्ली : भारत की पहली महिला जज अन्ना चांडी केरल की रहने वाली थीं। अन्ना चांडी को महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए भी जाना जाता था। अन्ना चांडी का जन्म चार मई 1905 को केरल (उस समय का त्रावणकोर) के त्रिवेंद्रम के एक ईसाई परिवार में हुआ था। 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था।
उन्होंने 1926 में कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। उस समय कानून की डिग्री लेने वालीं अन्ना अपने राज्य की पहली महिला थीं। इसके बाद उन्होंने बैरिस्टर के तौर पर अदालत में प्रैक्टिस शुरू की। 1937 में केरल के दीवान सर सीपी रामास्वामी अय्यर ने चांडी को मुंसिफ के तौर पर नियुक्त किया।
1959 में बनीं केरल हाईकोर्ट की जज
इसके बाद अन्ना भारत की पहली महिला जज बन गईं। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1948 में चांडी की पदोन्नति हुई और वो जिला जज बन गईं। भारत के किसी भी हाईकोर्ट की पहली महिला जज के तौर पर भी अन्ना चांडी का नाम आता है। 1959 में अन्ना को केरल हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।
महिलाओं के अधिकारों के लिए उठाई आवाज
अन्ना चांडी ने 1967 तक हाईकोर्ट के न्यायधीश के पद पर सेवाएं दीं। हाईकोर्ट से सेवानिवृत्ति के बाद चांडी को लॉ कमीशन ऑफ इंडिया में नियुक्त कर दिया गया। उन्हें महिलाओं के विभिन्न अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई।
चांडी ने ‘श्रीमती’ नाम से एक पत्रिका भी निकाली जिसमें उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने ‘आत्मकथा’ नाम से अपनी ऑटोबायोग्राफी भी लिखी थी। 1996 में केरल में 91 साल की उम्र में जस्टिस चांडी का निधन हो गया था।