दुनियाभर में हर तीसरे बच्चे में मायोपिया का खतरा

आंखों की बीमारियां हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही हैं। बच्चों में भी ये खतरा बढ़ता जा रहा है। आपने भी अपने आस-पास कई बच्चों की आंखों पर नजर का चश्मा लगा देखा होगा। आंखों की रोशनी कमजोर होने की दिक्कत क्वालिटी ऑफ लाइफ को भी प्रभावित करती है।
बच्चों में आंखों की एक बढ़ती बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। वैश्विक स्तर पर किए गए एक विश्लेषण से पता चलता है कि बच्चों में दृष्टि से संबंधित समस्याओं का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। हर तीन में से एक बच्चा निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) से पीड़ित पाया गया है।
आंखों की इस बीमारी में दूर की चीजों को देखने में कठिनाई होने लगती है। विशेषज्ञों की चिंता है कि जिस तरह से साल-दर-साल ये बीमारी बढ़ती जा रही है ऐसे में साल 2050 तक लाखों और बच्चे इसके शिकार हो सकते हैं।
एशियाई देशों में खतरा अधिक – ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में बच्चों में मायोपिया की बढ़ती समस्या को लेकर अलर्ट किया गया है। 50 देशों में पांच मिलियन (50 लाख) से अधिक बच्चों और किशोरों पर किए गए शोध में पाया गया है कि एशियाई देशों में इसका जोखिम सबसे अधिक देखा जा रहा है। जापान में 85 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में 73 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष से ग्रस्त हैं, जबकि चीन और रूस में 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे इससे प्रभावित हैं। बच्चों में बढ़ रहे हैं मायोपिया के मामले – पैराग्वे और युगांडा में मायोपिया का स्तर सबसे कम था, जहां लगभग 1 प्रतिशत बच्चों में ये दिक्कत पाई गई है। यूके, आयरलैंड और यूएस में यह लगभग 15 प्रतिशत है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड महामारी के बाद इस समस्या में और तेजी से वृद्धि हुई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मायोपिया आमतौर पर स्कूल के वर्षों के दौरान शुरू होता है और लगभग 20 वर्ष की आयु तक इसके लक्षण काफी बिगड़ सकते हैं। कई कारण हैं जो इस समस्या का खतरा बढ़ाते जा रहे हैं। अपने शुरुआती वर्षों में जिन बच्चों का स्क्रीन पर अधिक समय बीतता है उनमें इस बीमारी का खतरा अधिक हो सकता है।
स्मार्ट डिवाइस बढ़ा रहे हैं खतरा – इससे पहले ‘द लैंसेट डिजिटल हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया था कि स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया के जोखिम को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताना मायोपिया के खतरे को 30 फीसदी तक बढ़ा देता है। इसके साथ ही कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग के कारण यह जोखिम बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत हो गया है।
नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) से संबंधित समस्या है, जिसमें रोगी को अपने निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट रूप से देखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती हैं। इसमें आंख का आकार बदल जाता है। सामान्यतौर पर आंख की सुरक्षात्मक बाहरी परत कॉर्निया के बड़े हो जाने के कारण ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश ठीक से फोकस नहीं कर पाता है।

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