दिवाली पर लाइट के बाद मिठाई की ही माँग सबसे अधिक होती है.।लोगों की दीवानगी का ही असर है कि इसका बाजार अनुमानित रूप से 6500 करोड़ रुपए से अधिक का और इस उद्योग की वृद्धि 16 फीसदी है। चूंकि इस उद्योग का बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र में है, ऐसे में एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि इसका आकार इससे काफी बड़ा हो सकता है। मिठाई में मिलावट की तमाम खबरों, जागरूकता अभियानों और सरकारी सख्ती के बावजूद स्थिति संतोषजनक नहीं है। ऐसे में आज हम कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिनसे आप मिलावटी मिठाई से बच सकते हैं।
स्टार्च और यूरिया
सिंथेटिक दूध, मावे और खोए से बनी मिठाइयों में मुख्य रूप से दो चीजें मिलाई जाती हैं। खोए में जहां स्टॉर्च मिलाया जाता है, वही दूध का प्रोटीन कंटेंट बढ़ाने के लिए यूरिया मिलाया जाता है। ये दोनों ही चीजें हमारी सेहत के लिए हानिकारक हैं।
इस तरह करें जांच
स्टॉर्च और यूरिया की जांच के लिए थोड़ा आयोडीन सॉल्यूशन और पराडीमेथील एमिनो बेनज़लडीहाइड चाहिए। दोनों किसी केमिस्टल की दुकान पर मिल जाएंगे. दूध के पनीर या खोए की मिठाई में स्टॉर्च है या नहीं, यह जानने के लिए एक कांच के कटोरे में थोड़े से पनीर या मिठाई को गुनगुने पानी में पूरी तरह घुलने दें। जब पनीर और खोए की मिठाई पानी में पूरी तरह घुल जाए तो उसमें चार से पांच बूंद आयोडीन मिला दें. यही प्रक्रिया दूध के साथ भी करें। आयोडीन मिलाने के बाद अगर दूध, पनीर या खोए की मिठाई के सॉल्यूशन का रंग नीला हो जाए तो समझिए यह मिलावटी है और अगर इस मिश्रण का रंग नहीं बदलता है तो इसका मतलब है कि यह शुद्ध है।
यहां से खरीदें कच्ची सामग्रियां
मिलावट से बचने के लिए अगर आप खुद मिठाई बनाना चाहते हैं तो कच्ची सामग्रियां वहीं से खरीदें जिनके पास एफएसएसएआई लाइसेंस हो। इसके अलावा चीजों की एक्सपायरी डेट और अन्य जरूरी जानकारियां जरूर देख लें।
गुणवत्ता खराब होने के कारण
दिवाली के अवसर पर मिठाइयों की गुणवत्ता खराब होने की कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह मावे, छेना और दूध में मिलावट है। अधिक मांग की वजह से इनमें कृत्रिम चीजें मिलाई जाती हैं, जो बेहद हानिकारक हैं। मिठाइयों की अधिक माँग के कारण काफी पहले से कच्ची सामग्रियों का संग्रह किया जाता है। इस कारण भी कई दफा चीजें खराब हो जाती हैं। यही वजह है कि इन दिनों पैकेज्ड मिठाइयों का बाजार 25 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
7 साल सजा और जुर्माने की व्यवस्था
खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की व्यवस्था है। अमानक, गुणवत्ताविहीन व मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने व परोसने वालों पर जुर्माना और सजा दोनों हो सकते हैं। ऐसे मामलों में विक्रेता को अधिकतम 7 साल की सजा और 10 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। अमानक चीजों के मामले में 5 लाख और मिलावट पर 3 लाख रुपए तक का जुर्माना एडीएम द्वारा दिया जा सकता है। खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) भी मिलावट के मामलों में लगातार सख्ती बरत रहा है।