टूटा 9 दशकों का कीर्तिमान, शतरंज ओलंपियाड में भारत ने जीते स्वर्ण

बुडापेस्ट ।  ओलंपियाड शतरंज प्रतियोगिता ने भारत ने पहली बार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। ग्रैंडमास्टर डी गुकेश, अर्जुन एरिगेसी और आर प्रज्ञानानंदा ने स्लोवेनिया के खिलाफ 11वें दौर में अपने अपने मैच जीत लिए। विश्व चैम्पियनशिप चैलेंजर गुकेश और अर्जुन एरिगेसी ने एक बार फिर अहम मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन किया जिससे भारत को ओपन वर्ग में अपना पहला खिताब जीतने में मदद मिली। भारतीय महिलाओं ने अजरबेजान को 3.5-0.5 से हराकर देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया। डी हरिका ने पहले बोर्ड पर तकनीकी श्रेष्ठता दिखाई और दिव्या देशमुख ने एक बार फिर अपने प्रतिद्वंद्वी को पछाड़कर तीसरे बोर्ड पर अपना व्यक्तिगत स्वर्ण पदक पक्का किया। आर वैशाली के ड्रा खेलने के बाद वंतिका अग्रवाल की शानदार जीत से भारतीय टीम ने गोल्ड मेडल सुनिश्चित किया। ऐसे में आइए जानते हैं कौन हैं भारत के ये चाणक्य।
भाई-बहन हैं प्रज्ञानानंदा और वैशाली – ओलंपियाड शतरंज प्रतियोगिता में प्रज्ञानानंदा और वैशाली ने अपनी बिसात से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। तमिलनाडु के रहने वाले प्रज्ञानानंदा और वैशाली दोनों भाई-बहन हैं। भारत के ये ग्रैंडमास्टर कई बड़े इंटरनेशनल टूर्नामेंट में एक साथ हिस्सा ले चुके हैं। इन दोनों ने ओलंपियाड शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और अपने दमदार खेल से भारत को पहली बार गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
कमाल के ग्रैंडमास्टर हैं डी गुकेश -17 साल के ग्रैंडमास्टर डी गुकेश भी ओलंपियाड शतरंज प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। तमिलनाडु के रहने वाले गुकेश कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट के चैंपियन बने थे और उन्होंने भारत को ओलंपियाड में गोल्ड मेडल दिलाया। गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को हुआ था। उन्होंने सिर्फ सात साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था।
अर्जुन ने मचाया है तहलका- 21 साल के ग्रैंडमास्टर अर्जुन एरिगैसी ने शतरंज की दुनिया में तहलका मचा रखे हैं। ओलंपियाड से पहले उन्होंने इंटरनेशनल चेस फेडरेशन की वर्ल्ड रैंकिंग लिस्ट में 9वां स्थान हासिल किया था। वारंगल के रहने वाले अर्जुन ने प्रज्ञानानंदा और गुकेश के साथ मिलकर भारत को ओलंपियाड में गोल्ड मेडल में दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
पद्मश्री से सम्मानित हैं डी हारिका – द्रोणावल्ली हरिका भारत की एक ऐसी महिला शतरंज खिलाड़ी हैं, जिन्होंने फिडे का खिताब अपने नाम किया है। उन्होंने साल 2012, 2015 और 2017 में महिला विश्व शतरंज चैंपियनशिप में तीन ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए। साल 2022 में गर्भ अवस्था में होने के बावजूद ओलंपियाड में भाग लिया था और इस बार उन्होंने दमदार खेल दिखाते हुए भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई। शतरंज में उनके खेल के लिए अर्जुन और पद्मश्री पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
पांच साल की उम्र में से शतरंज खेल रही हैं दिव्या – 18 साल की दिव्या देशमुख महाराष्ट्र के नागपुर की रहने वाली हैं। दिव्या कुछ ही सालों में शतरंज के खेल में खूब चर्चित हो गई हैं। दिव्या ने सिर्फ 6 साल की उम्र में शतरंज खेलने शुरू कर दिया था। हालांकि, उनकी फैमिली नहीं चाहती थी कि वह शतरंज में अपना करियर बनाए। उनके मात-पिता की चाहत थी कि वह बैडमिंटन की में आगे बढ़े, लेकिन दिव्या मन शतरंज में लग गया। कम उम्र में ही दिव्या ने शतरंज में कई बड़े मैच जीतकर सबको हैरान कर दिया था। वहीं अब उन्होंने देश को ओलंपियाड में गोल्ड दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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