चट्टान की तरह मजबूत और अजेय थे गामा पहलवान

दतिया/भोपाल.बॉडी बिल्डिंग के लिए आधुनिक युग में भले ही कई मशीनें आ रही हो, लेकिन अगर पत्थर से बने कसरत करने के सामानों को देखना है तो वह इस दतिया में रखे हुए हैं। यहां के म्यूजियम में वर्ल्ड चैम्पियन गामा पहलवान द्वारा यूज किए ये सामान आज भी सुरक्षित हैं। इनमें पत्थर के डंबल, हंसली, गोला आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं ।

दतिया के होलीपुरा में गामा का जन्म सन् 1889 में हुआ था। हालांकि, उनके जन्म को लेकर विवाद है कुछ यह भी मानते हैं कि उनका जन्म 1880 में पंजाब के अमृतसर में हुआ था। गामा के बारे में कहा जाता है कि वह 80 किलो वजनी हंसली (कसरत के लिए गले में पहनी जाने वाली पत्थर की भारी वस्तु) पहन कर उठक बैठक लगाते थे। डंबल के रूप में भी वह भारी भरकम पत्थर का उपयोग करते थे। आम आदमी के लिए इन्हें उठाना मुश्किल ही है।  कहा जाता है कि गामा एक बार में एक हजार से अधिक दंड बैठक लगाया करते थे। कई बार बैठक की संख्या पांच हजार तक पहुंच जाती थी।

यह थी गामा की खुराक

बताया जाता है कि गामा पहलवान की खुराक एक समय में पांच किलो दूध व उसके साथ सवा किलो बादाम थी। दूध 10 किलो उबाल कर पांच किलो किया जाता था। उनकी खुराक का खर्चा तत्कालीन राजा भवानी सिंह द्वारा उठाया जाता था।

विदेशी पहलवानों को भी चटाई थी धूल

सन् 1910 में दुनिया में कुश्ती के मामले में अमेरिका में जैविस्को का नाम काफी था। गामा ने इसे भी परास्त कर दिया था।पूरी दुनिया में गामा को कोई हरा नहीं सका। इसीलिए उन्हें वर्ल्ड चैम्पियन का खिताब मिला था। गामा ने अपने जीवन में देश के साथ विदेशों के 50 नामी पहलवानों से कुश्ती लड़ी और सभी जीतीं।

 

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