-स्वास्थ्य आयोग ने दिया इकबालपुर का नर्सिंग होम बंद करने का आदेश
कोलकाता । कोलकाता के इकबालपुर स्थित एक नर्सिंग होम में एक गर्भवती महिला दर्द की शिकायत लेकर गई थी। कथित तौर पर, उस समय एक डॉक्टर के सहायक ने उसे आरएमओ गलत इंजेक्शन लगा दिया। आरोप है कि घर लौटने के बाद महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद महिला के परिवार की ओर से स्वास्थ्य आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई। आयोग ने इस घटना में इकबालपुर नर्सिंग होम को बंद करने का आदेश दिया है। स्वास्थ्य निदेशक को मामले की जांच करने का भी आदेश दिया गया है। आयोग ने महिला को एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। हालाँकि, महिला मुआवजा लेने को तैयार नहीं थी। 6 अगस्त को अलका रॉय नाम की एक महिला ने स्वास्थ्य आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया कि गर्भावस्था के दौरान दर्द होने पर वह इकबालपुर नर्सिंग होम गई थी। तभी अविनाश कुमार नाम के एक व्यक्ति ने खुद को आरएमओ बताया। कथित तौर पर, उसने खुद को आरएमओ बताकर उसे एक पर्चा लिखा। उसने महिला को एक इंजेक्शन भी दिया। दर्द शुरू हो गया। महिला घर चली गई। उसके बाद उसका गर्भपात हो गया। शिकायतकर्ता ने बताया कि बाद में महिला को पता चला कि उसका इलाज करने वाला व्यक्ति असल में डॉक्टर नहीं था। इसके बाद स्वास्थ्य आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई। नर्सिंग होम के मालिक ने बताया कि उस दिन महिला का इलाज करने वाला व्यक्ति डॉक्टर का सहायक था। डॉक्टर की मेज पर उसका लेटरहेड था। उसने उस पर दवा का पर्चा लिखा था। इसके बाद स्वास्थ्य आयोग ने नर्सिंग होम को बंद करने का आदेश दिया। आयोग ने स्वास्थ्य सेवा निदेशक को जाँच के आदेश दिए हैं। महिला को एक लाख रुपये का मुआवज़ा देने को भी कहा गया है। आयोग के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति असीम कुमार बनर्जी ने कहा, “मुझे यकीन नहीं है कि महिला को दिए गए इंजेक्शन की वजह से उसका गर्भपात हुआ था। स्वास्थ्य निदेशक इस मामले की जाँच करेंगे।” उन्होंने कहा कि महिला को ‘परेशान’ किया गया और उसका इलाज किसी ऐसे व्यक्ति ने किया जो डॉक्टर नहीं था, इसलिए उसे एक लाख रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया। हालाँकि, शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने पैसों के लिए शिकायत नहीं की थी। महिला ने मुआवज़े की रकम नहीं ली। उन्होंने रामकृष्ण मिशन से वह पैसा देने को कहा। मुआवजे के साथ ही नर्सिंग होम को बंद करने का आदेश दिया गया है। आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि आदेश के बाद नर्सिंग होम ने नए मरीजों को लेना बंद कर दिया है। इसके बाद अधिकारियों ने आयोग में समीक्षा याचिका के लिए आवेदन किया। नर्सिंग होम खोलने की अनुमति के लिए आवेदन करते हुए अधिकारियों ने कहा कि इसके बंद होने से कई लोगों की आय प्रभावित हुई है। अधिकारियों को डायलिसिस के मरीजों को वापस भेजने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि जब तक स्वास्थ्य निदेशक की रिपोर्ट नहीं मिल जाती, तब तक नर्सिंग होम खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। आयोग 8 सितंबर को समीक्षा याचिका पर सुनवाई करेगा। तब तक नर्सिंग होम बंद रहेगा।