हम भारतीय महिलाओं को जेवरों से बेहद लगाव होता है और इन्हें पहनकर वो इठलाने का शायद ही कोई मौका छोड़ती होंगी। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हम खुद के लिए जूलरी खरीदने जाते हैं और यहीं से शुरू होती है परेशानियां।जेवर के बारे में हम बहुत कम जानते हैं – उसकी बनावट, क्वालिटी, टाइप और उसकी खासियत. खासकर अगर वो दुल्हन के जेवर हों। शादियों में हीरे और सोने के साथ कुंदन और पोल्की के गहने काफी पसंद किए जाते हैं। आइए जानते हैं इन दोनों का अंतर –
कुंदन और पोल्की, दोनो ही इंडिया की भव्य विरासत और शिल्पकारी को दर्शाते हैं. इसीलिए एक परम्परागत भारतीय लुक के लिए इनसे बेहतर कोई विकल्प नहीं होता. कुंदन, शिल्पकारिता का सबसे पुराना रूप है, यहां तक की इसके वर्क पोल्की से भी पुराने हैं, खासकर हमारे देश में.
इनके डिज़ाइन से लेकर इन्हें तैयार करने की पूरी प्रकिया को काफी सावधानी से किया जाता है, क्योंकि इन्हें तैयार करने में काफी समय लगता है और साथ ही इन्हें काफी बारीकी से तैयार किया जाता है.
पोल्की और कुंदन, दोनों ही स्टोन होते हैं – न ही मेटल और ना ही डिज़ाइन। जहां पोल्की में अनकट डायमंड का तो वहीं कुंदन में ग्लास imitations का इस्तेमाल होता है।
पोल्की में अनफिनिश्ड नैचुरल डायमंड – जो नैचुरल शेप्स में मिलते हैं और जिन्हें पॉलिशिंग या फिनिशिंग की ज़रूरत नहीं होती, का इस्तेमाल होता है। इन्हें जमीन से इनके नेचुरल स्टेट में खुदाई करके निकाला जाता है और जेवर में इस्तेमाल किया जाता है।
दूसरी तरफ, कुंदन – प्रेशियस या सेमी-प्रेशियस ग्लास होता है, निर्भर करता है कि किस तरह के स्टोन का इस्तेमाल किया गया है. इसे पॉलिश करके इसके लुक को और भी बारीक बनाया जाता है. इसमें मुख्य काम, गोल्ड जूलरी में पत्थर बिठाने का होता है।
इंडिया में पोल्की मुग़लों द्वारा लाई गई था जिन्हें डायमंड का नैचुरल फॉर्म बेहद पसंद था।
कुंदन, अपनी कारीगरी और डीटेलिंग के साथ, एक ऐसा आर्ट फॉर्म है जो राजस्थानी कारीगरी के लिए मशहूर है।
पोल्की पीछे की तरफ, गोल्ड फॉएल से बना होता है ताकि सारे स्टोन एक जगह पर आ जाए. वहीं, कुंदन जूलरी में पीछे की तरफ, इनैमल वर्क के साथ-साथ स्टोन्स के बीच कई लेयरिंग रहती है।
कुंदन और पोल्की, दोनों ही प्रिशियस और सेमी प्रिशियस स्टोनस जैसे रूबी, नीलम और पन्ना का इस्तमेमाल करके तैयार किया जाता है.
पोल्की को जिस तरह की लाजवाब कारीगरी से तैयार किया जाता है और इसमें डायमंड का इस्तेमाल होने की वजह से ये कुंदन से ज़्यादा कीमती होता है।