किशोरों को सिगरेट देने पर सात साल की हो सकती है सजा

दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद पूरे देश में मचे बवाल के मद्देनजर जब जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट में संशोधन कर किशोर की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 साल की गई तब इसमें एक और प्रावधान किया गया, जो बहुत कम लोगों की नोटिस में गया है।

इस नए प्रावधान के मुताबिक अब किशोरों को सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पाद बेचने या ऑफर करने पर सात साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यह नया कानून 15 जनवरी से देश में लागू हुआ है और इससे बिहार में तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में काम कर रही संस्थाएं उत्साहित हैं।

सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद कानून (कोटपा-2003) के तहत अब तक 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को तंबाकू उत्पाद बेचने पर मात्र 200 रुपये तक के दंड का प्रावधान था। पूर्व में जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट के तहत किशोरों को केवल नारकोटिक ड्रग, जहरीला पेय पदार्थ और उत्तेजित करने वाले पदार्थ देने पर सात साल की सजा और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान था। अब इसमें तंबाकू उत्पाद को भी शामिल किया गया है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नए कानून को लेकर गजट जारी कर दिया है। तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से बिहार में काफी सक्रियता देखने को मिली है। पिछले वर्ष स्पेन में हुए वर्ल्ड टोबैको कांफ्रेंस में तंबाकू नियंत्रण के बिहार मॉडल के संबंध में जानकारी देने के लिए सोशियो इकॉनॉमिक एंड एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी (सीड्स) के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। सीड्स सूबे में राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ मिल कर तंबाकू नियंत्रण के लिए अभियान चला रहा है, जिसके नतीजे में 2013 से लेकर अब तक आठ जिले धूमपान मुक्त घोषित किए जा चुके हैं।

इनमें मुंगेर, लखीसराय, मधेपुरा, कटिहार, समस्तीपुर, दरभंगा, वैशाली एवं पटना शामिल हैं। मिश्रा के मुताबिक नए कानून से तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ता काफी उत्साहित हैं। भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जिसने ऐसा सख्त कानून बनाया है। तंबाकू सेवन के चलते होने वाले कैंसर से हर वर्ष देश में करीब पांच लाख लोगों की मौत होती है।

 

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